बिहार के स्कूलों में हाल के कुछ दिनों में ही 20 लाख बच्चों के नाम काट दिए गए। यानी इतने बच्चों के नाम स्कूल रजिस्टर से ख़त्म कर दिए गए। ऐसा नहीं है कि इतने बच्चों ने नाम कटवा लिए हैं या फिर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी है। ये नाम सरकार के एक अभियान के तहत उन बच्चों के काटे गए हैं जो स्कूल में अनुपस्थित रहे हैं। इनमें क़रीब डेढ़ लाख छात्र वैसे हैं जो बोर्ड की परीक्षा देने वाले थे। तो सवाल है कि अब ये डेढ़ लाख बच्चे परीक्षा कैसे दे पाएँगे? नाम काटे जाने में क्या आरटीई यानी शिक्षा के अधिकार क़ानून का उल्लंघन नहीं हुआ?