बिहार के स्कूलों में हाल के कुछ दिनों में ही 20 लाख बच्चों के नाम काट दिए गए। यानी इतने बच्चों के नाम स्कूल रजिस्टर से ख़त्म कर दिए गए। ऐसा नहीं है कि इतने बच्चों ने नाम कटवा लिए हैं या फिर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी है। ये नाम सरकार के एक अभियान के तहत उन बच्चों के काटे गए हैं जो स्कूल में अनुपस्थित रहे हैं। इनमें क़रीब डेढ़ लाख छात्र वैसे हैं जो बोर्ड की परीक्षा देने वाले थे। तो सवाल है कि अब ये डेढ़ लाख बच्चे परीक्षा कैसे दे पाएँगे? नाम काटे जाने में क्या आरटीई यानी शिक्षा के अधिकार क़ानून का उल्लंघन नहीं हुआ?
बिहार के स्कूलों से 20 लाख बच्चों के नाम क्यों काटे गए? जानें वजह
- बिहार
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- 25 Oct, 2023
बिहार में शिक्षा की स्थिति ख़राब होने की रिपोर्टें आती रही हैं और अब स्कूलों में सुधार के नाम पर क़रीब 20 लाख बच्चों के नाम काट दिए गए। जानें ये बच्चे कौन और क्या वजह बताई गई।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
कुछ ऐसे ही सवालों को लेकर शिक्षक संघ के लोग सरकार के इस फ़ैसले का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वे एनसीपीसीआर के सामने सरकार के फ़ैसले को चुनौती देंगे। इस पर शिक्षक संघ से जुड़े लोगों का क्या तर्क है, इसको जानने से पहले यह जान लें कि सरकार ने किस तर्क के आधार पर इतने बच्चों के नाम काटे हैं।