हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से एक बात स्पष्ट हो गई है कि बीजेपी को भले ही लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नाम पर बड़ी जीत मिली हो लेकिन राज्यों में उसके नेताओं की लोकप्रियता का ग्राफ़ वैसा नहीं है, जिसके दम पर वह पार्टी को सत्ता दिला सकें या उसे बरक़रार रख सकें। हरियाणा के चुनावी नतीजों के बाद बीजेपी बेहद चौकन्नी हो गई है क्योंकि उसका अगला लक्ष्य दिल्ली में सरकार बनाने का है और हरियाणा के चुनावी नतीजे यहां उसके दावे को कमजोर करते हैं।
कुछ लोगों को हैरानी हुई है कि बीजेपी जब कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ हरियाणा में सरकार बना सकती थी तो आख़िर उसे जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ की क्या ज़रूरत थी। और वह दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम जैसा अहम पद देने के लिए क्यों राजी हो गई क्योंकि अब उसके लिए सरकार के फ़ैसलों में जेजेपी की सहमति लेना मजबूरी होगी। लेकिन बीजेपी के इस फ़ैसले के पीछे बड़ी सियासी ‘चाल’ है।