जब से चुनावी बॉन्ड योजना शुरू हुई है तब से बीजेपी के अलावा अन्य राजनीतिक दल इस योजना पर सवाल उठाते रहे हैं। उनकी आपत्ति भी जायज लगती है। बीजेपी को जितना चंदा मिलता है उतना तो बाक़ी सभी दलों को मिलाकर भी नहीं मिलता है। यानी चुनावी चंदे में भारी अंतर है। सवाल है कि इसकी वजह क्या है? क्या सिर्फ़ इतना ही कि बीजेपी सत्ता में है?
राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे में भारी अंतर क्यों?
- देश
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- 2 Nov, 2023
चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है। अदालत का फ़ैसला चाहे जो भी आए, लेकिन सवाल है कि चुनावी बॉन्ड पर प्रश्न क्यों उठ रहे हैं और दलों को मिलने वाले चंदे में भारी अंतर क्यों है?

इसका जवाब जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर इस योजना में किन दलों को कितना पैसा मिला और कितना अंतर है। चुनावी बॉन्ड योजना शुरू होने के बाद से पांच वर्षों में बॉन्ड के माध्यम से दी गई धनराशि का आधे से अधिक यानी क़रीब 57% हिस्सा बीजेपी को गया है। चुनाव आयोग को दी गई घोषणा के अनुसार, पार्टी को 2017-2022 के बीच बॉन्ड के माध्यम से 5,271.97 करोड़ रुपये मिले। बीजेपी के बाद जिसको सबसे ज़्यादा चंदा मिला, वह कांग्रेस है। लेकिन बीजेपी के मुक़ाबले इसे सिर्फ़ 952.29 करोड़ रुपये ही मिले। बीजेपी को कांग्रेस से क़रीब साढ़े पाँच सौ फीसदी ज़्यादा चंदा मिला।