जब से चुनावी बॉन्ड योजना शुरू हुई है तब से बीजेपी के अलावा अन्य राजनीतिक दल इस योजना पर सवाल उठाते रहे हैं। उनकी आपत्ति भी जायज लगती है। बीजेपी को जितना चंदा मिलता है उतना तो बाक़ी सभी दलों को मिलाकर भी नहीं मिलता है। यानी चुनावी चंदे में भारी अंतर है। सवाल है कि इसकी वजह क्या है? क्या सिर्फ़ इतना ही कि बीजेपी सत्ता में है?