केंद्र सरकार ने अब कहा है कि राज्य भी अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दे सकते हैं। इसने यह बात हलफनामा देकर तब कही है जब राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने और उन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के राजनीतिक रूप से संवेदनशील सवाल पर स्टैंड नहीं लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की खिंचाई की थी। 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर 7,500 रुपये का जुर्माना लगाया था और उसे जवाब देने के लिए 'एक और मौका' दिया था।
अब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- राज्य भी दे सकते हैं अल्पसंख्यक का दर्जा
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- 28 Mar, 2022
केंद्र सरकार ने आख़िर सुप्रीम कोर्ट की खिंचाई के बाद किस आधार पर कहा कि राज्य भी अल्पसंख्यक और अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान तय कर सकते हैं?

खिंचाई किए जाने के बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि राज्य सरकारें राज्य के भीतर एक धार्मिक या भाषाई समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित कर सकती हैं। इसने यह भी कहा कि यह समवर्ती सूची में है जिसे केंद्र या राज्य दोनों तय कर सकते हैं। सरकार की यह प्रतिक्रिया उस मामले में आई है जिसमें 2020 में ही इसको लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी। वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका में कहा गया था कि 2011 की जनगणना के अनुसार, लक्षद्वीप, मिज़ोरम, नागालैंड, मेघालय, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिए।