कोरोना महामारी के ख़िलाफ़ इस जंग में देश को सरकारी अस्पतालों का ही सहारा है क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों का जैसा सहयोग इस वक्त मिलना चाहिए था, वह सिरे से नदारद है। कहा जा सकता है कि प्राइवेट अस्पताल कोरोना संक्रमितों के इलाज़ से नाक-मुंह सिकोड़ रहे हैं।
कोरोना: मुसीबत के वक़्त प्राइवेट अस्पताल पीछे, सरकारी अस्पतालों के कंधों पर जिम्मेदारी
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- 27 May, 2020
कोरोना महामारी के ख़िलाफ़ इस जंग में देश को सरकारी अस्पतालों का ही सहारा है क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों का जैसा सहयोग इस वक्त मिलना चाहिए था, वह सिरे से नदारद है।

प्रतीकात्मक तसवीर।
प्राइवेट अस्पतालों में भारत के कुल हॉस्पिटल बेड्स के दो-तिहाई बेड हैं और 80 फ़ीसदी वेंटिलेटर हैं, जो सिर्फ़ 10 फ़ीसदी कोरोना मरीजों के इलाज में काम आ रहे हैं। भारत में 2.4 लाख करोड़ का प्राइवेट हेल्थ सेक्टर इस वक्त एक तरह से किनारे हो गया है और सारा बोझ सरकारी अस्पतालों पर आ गया है।