बीते शुक्रवार को जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ हुई मुलाक़ात को लेकर राजनीतिक गलियारों में जोरदार चर्चा है। मुलाक़ात के बाद दोनों ही तरफ़ से आधिकारिक रूप से इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई है कि दोनों के बीच किन मुद्दों पर और क्या बातचीत हुई है? लिहाज़ा इस मुलाक़ात को लेकर कई तरह के क़यास लग रहे हैं। लेकिन एक बात साफ़ है कि यह मुलाक़ात पिछले चार-पाँच साल से देश में हिंदू-मुसलिम समुदायों के बीच लगातार बढ़ती खाई को पाटने की दिशा में एक कोशिश ज़रूर लगती है।

इस मुलाक़ात को लेकर संघ के अपने दावे हैं और जमीयत उलमा-ए-हिंद के अपने। जहां संघ की तरफ़ से दावा किया जा रहा है कि मुलाक़ात की पहल मौलाना अरशद मदनी की तरफ़ से हुई है और वह पिछले दो साल से संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलना चाह रहे थे। लेकिन किन्हीं कारणों से संघ प्रमुख इस मुलाक़ात के लिए वक़्त नहीं निकाल पा रहे थे। वहीं, जमीयत से जुड़े लोगों का दावा है कि इस मुलाक़ात की पहल संघ परिवार की तरफ़ से हुई है।