नवमी बीत गई और इसके साथ ही लोग भी अपनी खाने-पीने की पुरानी आदतों की ओर लौट गए हैं। लेकिन सरकार ने इसके लिए नवमी के बीतने का इंतजार भी नहीं किया, वह सप्तमी के दिन ही अपनी पुरानी आदत पर लौट गई। शुक्रवार को सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के आपातकालिक प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए प्याज के भंडारण की सीमा तय कर दी। प्याज की कीमतें जिस तरह से और जिस तेजी से बढ़नी शुरू हुई हैं, उसे देखते हुए सरकार के पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं था।

बाज़ार में कीमतें न बढ़ें इस बार तो उसके लिए प्याज के आयात पर भी ढील दे दी गई है। कृषि विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इसका कोई बड़ा फ़ायदा नहीं होने वाला। भारत न सिर्फ प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक बल्कि उसका सबसे बड़ा निर्यातक भी है। और यह सबसे बड़ा निर्यातक जब एक बार दुनिया के बाजार में खुद खरीदार बन कर पहुँच जाता है तो वहां दाम बिना किसी बड़े सौदे के ही तेज़ी से बढ़ जाते हैं।

























