ऋषि सुनाक का प्रधानमंत्री बनना अगर दिवाली के दिन की शुभ ख़बर है तो उसके आगे-पीछे भी जानना चाहिए। और अभी डेढ़ महीने पहले इसी ब्रिटिश प्रधानमंत्री की रेस में हारे भारतीय मूल के सुनाक अगर दोबारा अपने कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों का भरोसा जीतने में सफल रहे हैं तो इसलिए कि उन्होंने अर्थव्यवस्था को लेकर कभी झूठ का सहारा नहीं लिया जबकि बिगड़ती हालत में वह बोरिस जॉनसन सरकार के वित्त मंत्री थे। बोरिस जॉनसन की विदाई अपने कुछ साथियों के आचरण से ज़्यादा झूठ पकड़े जाने और बिगड़ते आर्थिक हालात के चलते हुई। ब्रिटेन सदी की सबसे ऊँची मुद्रास्फीति दर झेल रहा है।
महंगाई रोकें, आँकड़े नहीं; लिज ट्रस, बोरिस मामले का सबक़!
- अर्थतंत्र
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- 25 Oct, 2022

दुनिया भर में महंगाई बढ़ रही है और इसका असर राजनीति पर भी पड़ रहा है। जानिए, आख़िर अमेरिका कैसे निपट रहा है और ब्रिटेन के दो प्रधानमंत्रियों ने कैसे निपटने की कोशिश की। भारत इनसे सबक़ लेगा?
पिछली बार ऋषि सुनाक को पराजित करने वाली लीज ट्रस की विदाई भी उनके भरोसेमंद वित्त मंत्री द्वारा पेश ग़लत क़दम वाले मिनी बजट और फिर महंगाई को लेकर झूठ बोलने के चलते हुई। महंगाई वैसे ही बहुत ज्वलनशील पदार्थ है। उसमें झूठ का तड़का लग जाए तो उसमें जाने कौन न जल जाए। ब्रिटेन ही अकेला उदाहरण नहीं है। यूरोप में ही कई बदलाव हो गए। दुनिया भर में महंगाई है और इस आधार पर अनेक लोग मंदी की आहट सुन रहे हैं। महंगाई से मांग गिरती है, मांग से उत्पादन गिरता है, उत्पादन गिरने से बेरोजगारी बढ़ती है और अर्थव्यवस्था को मंदी दबोच लेती है।