आयकर छूट की सीमा को बढ़ा देने के बाद भले ही कुछ लोग इस बजट को लेकर बम-बम हैं, लेकिन उस बड़ी आबादी का क्या जो सोशल सेक्टर पर निर्भर है। सोशल सेक्टर पर ही गरीब, निम्न वर्ग और निम्न मध्य वर्ग का भविष्य निर्भर करता है। सरकार भी इस सोशल सेक्टर के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार, आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी और किसानों की भलाई कर पाती है। लेकिन इस बजट में क्या सरकार ने सोशल सेक्टर के मद में बढ़ोतरी की है?
आयकर सीमा बढ़ाना तो ठीक है, पर सोशल सेक्टर के ख़र्च में कटौती क्यों?
- अर्थतंत्र
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- 2 Feb, 2025
बजट 2025 में आयकर सीमा बढ़ाना तो ठीक है, लेकिन सोशल सेक्टर के ख़र्च में कटौती क्यों की गई? जानें इस नीति का क्या असर होगा?

वित्त वर्ष 2023-24 के आँकड़ों के अनुसार आयकर भरने वालों की संख्या क़रीब-क़रीब 7 करोड़ है। अब 140 करोड़ की आबादी में सोशल सेक्टर पर निर्भर लोगों की संख्या के बारे में अंदाज़ा लगाना ज़्यादा मुश्किल नहीं होना चाहिए। आयकर छूट की सीमा को लेकर बजट की तारीफ़ में जो 'मास्टरस्ट्रोक' शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह किसके लिए है, इसे बेहद आसानी से समझा जा सकता है। लेकिन सोशल सेक्टर पर निर्भर लोगों का क्या? आइए, जानते हैं कि इस क्षेत्र के लिए बजट में क्या प्रावधान किया गया है।