loader

क्या मोदी के ख़िलाफ़ संघ में पक रही है कोई खिचड़ी?

तीन राज्यों में बीजेपी की हार के बाद से पार्टी में भारी खलबली है। दबे-छुपे यह सवाल उठने लगा है कि क्या मोदी अब बीजेपी के लिए जिताऊ नेता नहीं रह गए हैं? क्या उनका जादू ख़त्म हो गया है? क्या उनकी अगुवाई में बीजेपी  2019 में लोकसभा का चुनाव जीत पाएगी? क्या बीजेपी 2014 की तरह फिर सरकार बना पाएगी? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि कुछ महीने पहले तक यह माना जाता था कि मोदी और अमित शाह की जोड़ी के पास पारस पत्थर है। वे जिस भी चुनाव में उतरते हैं, वहाँ विपक्ष ध्वस्त हो जाता है और बीजेपी आसानी से चुनाव जीत जाती है। लेकिन अब ऐसी हालत नहीं है। कर्नाटक में वह तमाम जोड़तोड करने के बाद भी अपनी सरकार बनाने से चूक गई और राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार भी गँवा बैठी। ऐसे में क्या बीजेपी को नये नेता की दरकार है, जो लोकसभा की नैया कामयाबी से पार लगा सके? यानी बीजेपी मोदी की जगह नया नेता चुने। 

देश के लिए ख़तरनाक?

सबसे पहली आवाज़ उठी महाराष्ट्र से। राज्य के बडे किसान नेता किशोर तिवारी ने एक चिठ्ठी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और भइया जी जोशी को लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि अहंकारी नेताओं की वजह से बीजेपी तीनों राज्यों में हारी। उनका कहना है कि इन नेताओं की नोटबंदी, जीएसटी, पेट्रोल की क़ीमत और दूसरी जनविरोधी नीतियों के कारण बीजेपी की हालत पतली हुई। किशोर तिवारी यही नहीं रुके। वे आगे कहते हैं कि जो नेता चरमपंथी और तानाशाही बर्ताव करते हैं, वे समाज और देश के लिए ख़तरनाक होते हैं। ऐसा इतिहास में पहले भी साबित हो चुका है और अब इतिहास नहीं दोहराया जाना चाहिए। लिहाज़ा, 2019 के चुनाव के लिए पार्टी की बागडोर नितिन गडकरी को सौंप देनी चाहिए।
Is BJP thinking of replacing Modi before General Elections? - Satya Hindi
किशोर तिवारी वसंतराव नाईक शेती स्वावलंबन मिशन के चेयरमैन हैं और उन्हें महाराष्ट्र सरकार ने 11 दिसंबर को कैबिनेट रैंक दिया। तिवारी को बड़ा किसान नेता माना जाता है। उन्होंने बिना लाग-लपेट के बीजेपी से कहा है कि वह मोदी और अमित शाह से छुटकारा पा ले। मोदी और अमित शाह पर उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि इन लोगों ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की अच्छी नीतियों को पलटने का काम किया है। उनके मुताबिक़. इन नेताओं की दिलचस्पी सिर्फ़ बुलेट और मेट्रो ट्रेन में ही है।

संघ को चिट्ठी

अपनी चिठ्ठी में तिवारी ने लिखा है कि मोदी और अमित शाह के तानाशाही रवैये की वजह से ही देश में दहशत का माहौल है। अब देश को गडकरी जैसे एक नरमदिल और सर्वस्वीकार्य नेता की ज़रूरत है, जो सब तरह के विचारों और मित्र दलों को साथ लेकर चल सके, आम राय बना सके और लोगों के मन से भय निकाल सके।
तिवारी अकेले नेता नहीं है। ऐसी ही बात बीजेपी के पूर्व उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के बुजुर्ग दलित नेता संघ प्रिय गौतम ने भी कही है।  
दलित नेता संघप्रिय गौतम का कहना है कि विधानसभा चुनावों में मोदी मंत्र पूरी तरह नाकाम रहा है। अमित शाह की रणनीति भी फ़ेल हो गई है । पार्टी और सरकार में भारी फेरबदल करने की ज़रूरत है। कार्यकर्ता डरे हुए हैं, वे बोल नहीं पा रहे हैं।
हालाँकि तिवारी से हट कर वे कहते हैं कि 2019 में मोदी को अगर दुबारा प्रधानमंत्री बनाना है तो अमित शाह की जगह शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाना चाहिए। साथ ही नितिन गडकरी को उप-प्रधानमंत्री नियुक्त करना चाहिए। गौतम योगी आदित्यनाथ को भी बदलने की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि योगी को हटा कर राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश की बागडोर सौंपनी चाहिए और योगी को अब भजन-कीर्तन करना चाहिए।

सरकार से लोग ख़फ़ा?

गौतम साफ कहते है कि सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई और रिज़र्व बैंक में दख़लंदाज़ी और आर्थिक मामलों में फ़ैसलों से लोगों पर ग़लत असर पड़ा है। उन्होने यह भी कहा कि गोवा और मणिपुर में जोड़तोड़ से सरकार बनाने, कर्नाटक में एक दिन की सरकार बनाने और उत्तराखंड में सरकार बर्खास्त करने जैसे विवेकहीन फ़ैसलों से भी लोग काफ़ी ख़फ़ा हैं। 
एक समय था जब बीजेपी और संघ परिवार में कोई मोदी के ख़िलाफ़ मुँह खोलने की हिम्मत नहीं कर सकता था। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने न केवल केंद्र में बहुमत का सरकार बनाई, बल्कि 22 राज्यों में बीजेपी या बीजेपी गठबंधन की सरकारें बनीं। मोदी की अगुआई में 2017 में बीजेपी प्रचंड बहुमत से सरकार में आई। लेकिन उसके बाद गुजरात में बीजेपी को जीतने के लिए नाकों चने चबाने पडे। तमाम दावों के बाद भी वे कर्नाटक में बहुमत नहीं ला पाए। 
तीन राज्यों में तो बीजेपी सरकार गँवा ही बैठी। लोकसभा चुनाव में कुछ महीने बाक़ी है। ऐसे समय में जबकि कांग्रेस नए सिरे से खड़ी हो रही है, बीजेपी और संघ परिवार में यह चिंता गहरी हो गई है कि कहीं वे तीनों राज्यों की तरह केंद्र सरकार भी न गँवा बैठे।
बीजेपी का एक तबक़ा लंबे समय से मोदी और अमित शाह के रवैये से काफी क्षुब्ध था। पर वह चुप था क्योंकि मोदी और अमित शाह की जोड़ी एक-के-बाद-एक राज्य जीत रहे थे। पिछले एक साल से पार्टी ने जीतना बंद कर दिया है। ज़ाहिर है, अब आवाज़ें उठने लगी हैं।

बीजेपी का 'प्लान बी'?

सवाल यह है कि क्या ये आवाज़ें किसी के इशारे पर उठ रही हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं, किसी 'प्लान बी' पर काम चल रहा है? दोनों ही नेता के निशाने पर अमित शाह हैं और वे नितिन गड़करी में पार्टी का भविष्य तलाश रहे हैं। नितिन गड़करी नागपुर के है, जहाँ आरएसएस का मुख्यालय है। वे मोहन भागवत के क़रीबी भी बताए जाते हैं। तो क्या कहीं कुछ पक रहा है? और पानी मे कंकड़ फेंक कर माहौल को भाँपने की कोशिश की जा रही है? 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

चुनाव 2019 से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें