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भोपाल में हाई वोल्टेज ड्रामा, पुलिस-सीआरपीएफ़ में तीख़ी झड़प

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के क़रीबियों के यहाँ रविवार सुबह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा की गई छापेमारी ने शाम होते-होते हाई वोल्टेज ड्रामे का रूप ले लिया और भोपाल में दो महीने पहले पश्चिम बंगाल में हुए टकराव जैसे हालात बन गए। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ़) और मध्य प्रदेश पुलिस के बीच भोपाल में हाथापाई तक की नौबत आ गई। हालाँकि केन्द्र और मप्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मारपीट की नौबत को जैसे-तैसे टाल दिया लेकिन दोनों फ़ोर्स के कर्मियों के बीच गाली-गलौज मीडिया के कैमरों में कैद हो गई।

बता दें कि फ़रवरी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर सीबीआई की टीम के पहुँचने के विरोध में धरना दिया था। तब इसे लेकर ख़ासा बवाल हुआ था। 

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इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मीडिया के सामने आये और उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री तथा मुख्य सचिव तक की भूमिकाओं पर सवाल उठाते हुए प्रदेश में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट पैदा होने का आरोप मढ़ दिया।
बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कमलनाथ सरकार में ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ और राजनीतिक सलाहकार बनाये गये राजेन्द्र मिगलानी समेत इनसे जुड़े लोगों के यहाँ रविवार तड़के क़रीब तीन बजे छापेमारी की थी। भोपाल, इंदौर, दिल्ली और गोवा में पचास से ज़्यादा स्थानों पर तड़के शुरू हुई सर्वे की कार्रवाई देर रात तक चलती रही। 
शाम होते-होते भोपाल में तब अप्रिय हालात बन गये जब प्रवीण कक्कड़ के क़रीबी अश्विन शर्मा (38 वर्ष) के प्लेटिनम प्लाजा अपार्टमेंट स्थित घर के बाहर सीआरपीएफ़ और मध्य प्रदेश पुलिस आमने-सामने आ गये।
प्लेटिनम प्लाजा परिसर पहुँची मध्य प्रदेश पुलिस को सीआरपीएफ़ ने रोका तो पहले दोनों फ़ोर्स के कर्मियों के बीच तीख़ी झड़प हुई। झड़प के बीच गाली-गलौज भी हुई। बाद में हालात हाथापाई के भी बन गये। दोनों बलों के अधिकारियों ने आगे आकर हाथापाई की नौबत को टाला। उधर, इंदौर में एसएसपी रूचि वर्धन मिश्रा कक्कड़ के निवास पर पहुँचीं लेकिन सीआरपीएफ़ के कर्मियों ने मिश्रा को परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया। मिश्रा सीआरपीएफ़ कर्मियों को अपना नंबर सौंपकर वापस लौट गयीं।

मोटा कैश मिलने की ख़बर

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि अश्विन शर्मा के ठिकानों से काफ़ी तादाद में बेनामी संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों के साथ मोटा कैश भी मिला है। नोट उसने अलग-अलग जगहों पर दबा रखे थे। शू रेक में रखे जूतों के डिब्बों से भी कैश मिलने की जानकारी सूत्रों ने दी है। आईटी टीमों ने नोट गिनने की मशीनें अश्विन के ठिकानों पर बुलवाई थीं।
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कौन हैं अश्विन शर्मा और प्रतीक जोशी?

सूत्रों ने बताया कि इनकम टैक्स के छापे की जद में आये अश्विन जोशी कई एनजीओ के मालिक हैं। मध्य प्रदेश के सत्ता के गलियारों में वह पिछले दशक भर से सक्रिय रहे हैं। बेशक वह प्रवीण कक्कड़ के दाहिने हाथ माने जाते हैं, लेकिन उनके संबंध अनेक नौकरशाहों और बीजेपी सरकार के कई पूर्व मंत्रियों से मधुर बताये जा रहे हैं। 

सूत्रों के दावों को सही माना जाये तो शिवराज सरकार के कई पूर्व मंत्रियों ने भी अश्विन शर्मा का ‘उपयोग’ अपने हितों के लिये किया हुआ है।
प्रतीक जोशी नामक युवक अश्विन शर्मा के क़रीबी हैं। सूत्र बता रहे हैं कि प्रतीक जोशी अखिल भारतीय सेवा स्तर की परीक्षाओं की तैयारियों कर रहा था। अश्विन का रहन-सहन बेहद महंगा बताया गया है। उसके घर की साज-सज्जा, आलीशान कार्यालय और वाहन बेड़े में दर्जन भर महंगी कारें शामिल बतायी जा रही हैं।

जमकर बरसे शिवराज सिंह चौहान

छापेमारी के दौरान भोपाल में सीआरपीएफ़ और मध्य प्रदेश पुलिस के बीच टकराव की सूचना मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मीडिया के सामने आये। उन्होंने छापेमारी की कार्रवाई को चुनाव प्रक्रिया से जोड़ने संबंधी बयानों पर कांग्रेस को जमकर आड़े हाथों लिया। 

पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने दावा किया कि छापों में धन और संपत्ति का जख़ीरा मिल रहा है और प्रदेश की सरकार निष्पक्ष कार्रवाई को रोकने का प्रयास कर रही है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की भूमिकाओं पर भी सवाल उठाये।

मुख्यमंत्री कमलनाथ गलत नहीं हैं तो भयभीत क्यों हैं? राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई को बाधित करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है? वे सही हैं तो जाँच होने दें, जाँच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। मध्य प्रदेश में बंगाल जैसे हालात पैदा किये जा रहे हैं। यह अनुचित और असंवैधानिक है।


शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री

चौहान ने प्रदेश में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट खड़ा होने की बात भी कही। चौहान ने कहा, ‘भाजपा मिथ्या आरोपों को सहन नहीं करेगी, इसके परिणाम प्रतिकूल होंगे।’ शिवराज ने संकेतों में कहा, ‘पूरा धन कमलनाथ सरकार के 100 दिन के कार्यकाल के दौरान बनाया गया है।’

300 करोड़ हो सकती है रकम 

सूत्रों ने बताया कि छापेमारी में मिली संपत्ति और कैश का आँकड़ा तीन सौ करोड़ रुपये के लगभग की ऊंचाई छू सकता है। उधर, आईटी के सूत्र देर शाम और रात तक पूरी जानकारियाँ बाद में देने की बात करते रहे। अलबत्ता, आईटी के सूत्र यह संकेत दे रहे थे कि मामला बेहद बड़ा और चौंकाने वाला बन रहा है। 

आईटी ने रविवार पूर्वान्ह इस बात की पुष्टि भर की थी कि छापे में (सुबह दी गई जानकारी के समय तक) 9 करोड़ रुपये नकद मिले हैं। सुबह दिये गये इस आँकड़े के बाद छापेमारी से जुड़ा अधिकारिक ब्यौरा आईटी ने मीडिया को इस दलील के साथ नहीं दिया कि कार्रवाई अभी जारी है।

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जनता मुंहतोड़ जवाब देगी : कमलनाथ

देर शाम मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक बयान जारी कर कहा कि आयकर छापों की सारी स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है। सारी स्थिति स्पष्ट होने पर ही इस पर कुछ कहना उचित होगा। मुख्यमंत्री ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर हमला बोला कि पूरा देश जानता है कि संवैधानिक संस्थाओं का किस तरह, किन लोगों के ख़िलाफ़ एवं कैसे इस्तेमाल ये लोग पिछले 5 वर्षों में करते आये हैं। जब इनके पास विकास पर, अपने काम पर कुछ कहने को, बोलने को नहीं बचता है तो ये विरोधियों के ख़िलाफ़ इसी तरह के हथकंडे अपनाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपनी हार सामने नज़र आने लगी है तो इस तरह की कार्यवाही जानबूझकर चुनाव में लाभ लेने के लिये की जाने लगी है। प्रदेश की जनता सब सच्चाई जानती है। आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की जनता इन हरकतों का मुँहतोड़ जवाब देगी।

कमलनाथ ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी इन्होंने इसी तरह के सभी हथकंडे अपनाये थे। हर चीज की निष्पक्ष ढंग से जाँच हो। इस तरह के हथकंडों से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं से विकास के पथ पर हमारे कदम रुकेंगे नहीं, डिगेंगे नहीं, हम डरेंगे नहीं अपितु और तेज़ी से विकास के पथ पर हम अग्रसर होंगे। 

पहले चंद्रबाबू नायडू, फिर कुमार स्वामी और अब मध्य प्रदेश को बदले की भावना से निशाना बनाया गया है। बीजेपी बताये कि क्या वह चुनावी रैलियों-सभाओं और अन्य कार्यक्रमों में समस्त भुगतान चैक से करती है।


दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री

कमलनाथ तत्काल इस्तीफ़ा दें : नेता प्रतिपक्ष 

नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पूछा कि मुख्यमंत्री जवाब दें कि उनके ओएसडी के यहाँ से मिला कालाधन किसका है? क्या मुख्यमंत्री बताएँगे कि छापे में मिला काला धन किसकी स्वेच्छा से और कहाँ से इकट्ठा किया गया था। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक मुख्यमंत्री के ओएसडी के यहाँ से छापे में कालेधन का मिलना गंभीर मामला है, जनता समझ सकती है कि यह पैसा किसकी शह और कहाँ से इकट्ठा किया गया होगा। हमारी माँग है कि नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। 

'ट्रांसफ़र उद्योग से इकट्ठा हुआ पैसा' 

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में कमलनाथ सरकार में जो ट्रांसफ़र उद्योग चलाया गया उसके नतीजे अब जनता के सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा से विधानसभा में, जनसभाओं और मीडिया से चर्चा के दौरान कहता आया हूँ कि मध्य प्रदेश में अराजकता की स्थिति है। ट्रांसफ़र उद्योग फल-फूल रहा है। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अत्याचार बढ़े हैं, आपराधिक घटनाएँ बढ़ी हैं। पैसे लेकर छोटे से कर्मचारी से लेकर बड़े से बड़े अधिकारियों के ट्रांसफ़र किए जा रहे हैं। 

नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि मुख्यमंत्री के ओएसडी के यहाँ से छापे में जो राशि मिली है वह सब ट्रांसफ़र उद्योग से संग्रह किया हुआ धन है। कांग्रेस सरकार बनते ही करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है।

'संघीय ढांचे को हुआ नुक़सान'

गोपाल भार्गव ने कहा कि आयकर विभाग की टीम ने प्रदेश में कई जगह छापेमारी की है। भोपाल में कार्रवाई करने पहुँची आयकर विभाग की टीम के साथ पहुँचे सीआरपीएफ़ के जवानों को जिस प्रकार रोकने की कोशिश की गई वह निंदनीय है। यह घटना ठीक वैसी ही है जिस तरह पश्चिम बंगाल में राज्य की पुलिस द्वारा आयकर विभाग के अधिकारियों को बलपूर्वक रोका गया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा सीआरपीएफ के जवानों को रोका जाना संघीय ढांचे को नुकसान पहुँचाने जैसा है। उन्होंने कहा कि सरकार, राज्य की पुलिस अपना काम करे और सीआरपीएफ़ के जवानों को अपना काम करने दे। 

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संजीव श्रीवास्तव
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