क्या किसी विषय पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठक भर से क़ानून व्यवस्था बिगड़ने का डर हो सकता है? वह भी तब जब वह कोई धार्मिक सम्मेलन न हो तो भी? या किस सम्मेलन या गोष्ठी में क्या चर्चा हो यह पुलिस को बताकर ही कार्यक्रम किया जा सकता है? ये सवाल इसलिए कि पुणे में रविवार को होने वाले एक नास्तिक सम्मेलन को रद्द करना पड़ा है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा है कि शहर की पुलिस को आशंका थी कि 'राम नवमी त्योहार के दिन इस तरह के आयोजन से क़ानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है।'