आम तौर से ख़बरों से दूर रहने वाले छत्तीसगढ़ से आजकल दो तरह की ख़बरें आ रही हैं जो राष्ट्रव्यापी चर्चा में दिल्ली और बिहार की चुनावी चकल्लस वाली ख़बरों पर भारी पड़ रही हैं। युवा और जुनूनी पत्रकार मुकेश चंद्राकर की सरकारी दुलारे ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और उसके लोगों द्वारा हत्या कराने का मामला अगर सबको झकझोर रहा है और शासन (जिसके समर्थन के बगैर सुरेश न तो इतना बड़ा बनता और न ऐसा दुस्साहस करता) को भी सक्रिय होने के लिए मजबूर कर रहा है, तो बस्तर में छिड़ी सुरक्षा बलों और नक्सलियों की लड़ाई ने दर्जनों जानें ले ली हैं। अब नक्सलियों की तरफ़ से तो जवाबी कार्रवाई होने पर ही उनकी तैयारी और मंशा की ख़बर आती है लेकिन शासन की तरफ़ से केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश सरकार के काफी सारे लोग तथा नेता इस बार की लड़ाई में नक्सलवाद की सफाई का संकल्प दोहरा चुके हैं।
अमित शाह नक्सलवाद को ख़त्म क्यों नहीं कर पा रहे?
- विचार
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- 8 Jan, 2025

बीजापुर में बारूदी सुरंगों में विस्फोट कराके नक्सलियों ने स्थानीय स्तर पर तैयार दो बलों के आठ लोगों को मार दिया तब अमित शाह ने कहा था कि हम बस्तर से नक्सलवाद ख़त्म करके रहेंगे। तो सवाल है कि आख़िर यह कैसे ख़त्म होगा?
बीजापुर में बारूदी सुरंगों में विस्फोट कराके नक्सलियों ने स्थानीय स्तर पर तैयार दो बलों के आठ लोगों को मार दिया तब अमित शाह ने कहा कि हम बस्तर से नक्सलवाद ख़त्म करके रहेंगे। कुछ समय पहले उन्होंने कहा था कि हम 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद मिटा देंगे। बस्तर में भी अबूझमाद के एक हिस्से को छोड़कर बाकी सभी जगह नक्सलियों से जुड़ा सर्वे चल रहा है और अभी के जारी टकराव में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों का काफी नुकसान किया था। रविवार को ही तीन दिन की भिड़ंत के बाद पाँच नक्सली मारे गए थे जबकि सुरक्षा बलों का एक जवान भी शहीद हुआ था। सोमवार की बीजापुर की घटना उसका जबाब थी।