जिस दीवाली की रात अयोध्या को साढ़े 5 लाख दीयों के प्रकाश से नहलाया जा रहा था, उसी दीवाली की रात बियावान 'रंग महल' भैंसों के गोबर में नहा रहा था। अबुल फ़ज़्ल द्वारा लिखे गए इतिहास को खंगाला जाए तो पता चलता है कि 'रंगमहल' दीवाली की रात से लेकर पूरे सप्ताह दीयों की रौशनी में दूर-दूर तक झिलमिलाता था। मुग़लों की पहली राजधानी फ़तेहपुर सीकरी के इसी ऐतिहासिक महल में हिन्दुस्तान के बादशाह नूरुउद्दीन मुहम्मद जहांगीर का जन्म हुआ था।
हिंदुत्ववादी सोच से हुई फ़तेहपुर सीकरी की बर्बादी?
- विचार
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- 24 Nov, 2020

फ़तेहपुर सीकरी के साथ-साथ आगरा, दिल्ली और लाहौर- दीवाली की रातें सभी क़िलों, महलों और शहरों में शाही दीयों और कंदीलों से जगमगाया करती थीं। अंग्रेज़ भी दीवाली के मौक़े पर क़िलों को रौशनी के दीयों से सजवाया करते थे। कांग्रेस के भारत में आहिस्ता-आहिस्ता तेल चुकता गया और दीये बुझते चले गए। मोदी का भारत बनते-बनते न दीप बचा न तेल।
'यूनेस्को विश्व धरोहर' में शुमार फ़तेहपुर सीकरी की देख-रेख का ज़िम्मा 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण' (एएसआई) का है। इसकी गिनती भारत के उन 5 ऐतिहासिक स्मारकों में होती है जो भारत सरकार को सर्वाधिक रेवेन्यू दिलवाते हैं। एक समय था जब भारतीय स्थापत्य पर आधारित 'रंग महल' की गिनती भारत के सर्वश्रेष्ठ आवासीय परिसर में होती थी। सालों से यह भवन खंडहर और वीरान पड़ा है।