जिस दीवाली की रात अयोध्या को साढ़े 5 लाख दीयों के प्रकाश से नहलाया जा रहा था, उसी दीवाली की रात बियावान 'रंग महल' भैंसों के गोबर में नहा रहा था। अबुल फ़ज़्ल द्वारा लिखे गए इतिहास को खंगाला जाए तो पता चलता है कि 'रंगमहल' दीवाली की रात से लेकर पूरे सप्ताह दीयों की रौशनी में दूर-दूर तक झिलमिलाता था। मुग़लों की पहली राजधानी फ़तेहपुर सीकरी के इसी ऐतिहासिक महल में हिन्दुस्तान के बादशाह नूरुउद्दीन मुहम्मद जहांगीर का जन्म हुआ था।