
लॉर्ड मैकॉले का दानवीकरण कर उन्हें इस रूप में पेश किया गया है कि वह भारत को हमेशा हमेशा के लिए अंग्रेजों का ग़ुलाम बनाए रखना चाहते थे और इस योजना के तहत ही उन्होंने भारत में अंग्रेजी शिक्षा की नींव रखी। पर सच इसके उलट है। सच यह है कि मैकॉले चाहते थे कि भारत में पश्चिमी शिक्षा आए ताकि यहाँ के लोगों का पुनर्जागरण हो। वरिष्ठ पत्रकार एन. के. सिंह की बात को आगे बढ़ा रहे हैं आशुतोष।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।