संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को गिरना ही है, ये सारी दुनिया जानती है इसलिए इसकी जय-पराजय का कोई महत्व नहीं है। महत्व इस बात का है कि इस प्रस्ताव के जरिये संसद में सरकार की असफलताओं और सफलताओं पर खुलकर बहस हुयी और देश-दुनिया ने देखा कि सरकार और विपक्ष कितने पानी में हैं? अविश्वास प्रस्ताव पर अब प्रधानमंत्री के भाषण यानी उत्तर का किसी को कोई इन्तजार नहीं है, क्योंकि लोकसभा में गृहमंत्री जो कुछ बोल चुके हैं प्रधानमंत्री उसी को दोहराएंगे। ये बात अलग है कि उनका भाषण नाटकीयता से भरा होगा। आप मनोरंजन के लिए उसे अवश्य सुन सकते हैं।

मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का क्या हासिल होगा?
अविश्वास प्रस्ताव से सरकार के गिरने का लेशमात्र भी ख़तरा नहीं था, फिर भी सत्तापक्ष की हवाइयाँ उड़ी हुई थीं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अपने संक्षिप्त किन्तु स्पष्ट भाषण में जो कुछ कहा उसे सुनकर सदन में उत्तेजना बढ़ी। ये स्वाभाविक था क्योंकि राहुल गांधी ने सरकार की दुखती रग पर हाथ ही नहीं रखा था बल्कि उसे दबाकर भी दिखा दिया। राहुल गांधी के भाषण में कोई लत्ता-लपेड़ी नहीं थी। कोई पहेली नहीं थी, उन्होंने सीधे-सीधे सरकार पर मणिपुर में भारत माता के क़त्ल का आरोप लगाया। भाजपा को देशद्रोही कहा। सत्तापक्ष की इससे ज्यादा लानत-मलानत और क्या हो सकती थी? राहुल गांधी ने अपने भाषण के बाद हवा में अपने स्नेह का चुंबन भी उछाला जिसे भले ही भाजपा सांसद हेमामालिनी ने न देखा हो किन्तु स्मृति ईरानी ने देखा और उसकी जमकर भर्त्सना की।