राजनीति पर रोज भारी मन से लिखना पड़ता है। न लिखूं तो भी कोई पहाड़ नहीं टूटने वाला। लेकिन लिख देने से बहुत कुछ टूटने से बच जाता है। ठीक इसी तरह संसद में अविश्वास प्रस्ताव गिरने से केंद्र की सरकार नहीं गिरती, लेकिन देश का संसदीय आचरण और उसी के साथ देश की सियासत की गिरावट को आप साफ़ देख सकते हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विपक्ष और प्रस्ताव गिरने के लिए सरकार को बधाई देते हुए मैं कहना चाहता हूँ कि देश की आजादी के अमृतकाल में किसी अविश्वास प्रस्ताव पर अब तक की ये सबसे दयनीय बहस थी।