loader
वसुंधरा राजे दिल्ली में नड्डा से कई बार मिल चुकी हैं

भाजपा राजस्थान संकटः वसुंधरा का डर बरकरार!

राजस्थान में भाजपा का संकट बढ़ रहा है। वैसे भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह, सरोज पांडे और विनोद तावड़े रविवार को जयपुर में विधायकों से बात करने पहुंच रहे हैं। पार्टी ने अपनी तरफ से सोमवार को जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई है लेकिन उसकी आधिकारिक घोषणा सामने नहीं आई है। खबर है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने पार्टी नेतृत्व के सामने झुकने से इनकार कर दिया है। दोनों पक्ष अब अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं। भाजपा आलाकमान राजस्थान में दो डिप्टी सीएम और महिला को विधानसभा अध्यक्ष देने पर विचार कर रही है। राजस्थान भाजपा में अभी तक योगी बालकनाथ, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और दीया कुमारी के नाम बतौर सीएम चले हैं लेकिन अब सभी नाम खारिज कर दिए गए हैं। ताजा नाम केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का भी चल रहा है।
वसुंधरा राजे की वजह से भाजपा को अब संकट से निपटने के लिए दो डिप्टी सीएम और महिला विधानसभा अध्यक्ष बनाने पर विचार करना पड़ रहा है। मीडिया में खबरें हैं कि दोनों डिप्टी सीएम को जाति संतुलन के हिसाब से बनाया जाएगा। राजपूत, जाट, दलित और ब्राह्मण के बीच संतुलन बैठाया जा रहा है। इन्हीं जातियों के लोगों को चारों पद यानी सीएम, 2 डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष दिया जा सकता है। वसुंधरा राजे के संभावित विद्रोह से निपटने के लिए पार्टी इसी फॉर्मूले पर विचार कर रही है। क्योंकि वसुंधरा के पास चारों ही बिरादरी के विधायक हैं।
ताजा ख़बरें
मीडिया रिपोर्टों और सूत्रों के मुताबिक भाजपा आलाकमान को अब जो सूचनाएं मिल रही हैं वो चौंकाने वाली हैं। विधानसभा चुनाव जीतने वाले लगभग 45 भाजपा विधायक 3 दिसंबर, 2023 को जयपुर में वसुंधरा के आवास पर चले गए। हालांकि मुख्यमंत्री समर्थकों ने दावा किया कि 45 विधायक केवल उनका आशीर्वाद लेने के लिए उनसे मिले थे। इसका कोई मतलब नहीं निकालना चाहिए। लेकिन आलाकमान परेशान हो गया।

इस बीच खबर है कि केंद्रीय पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडे और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े रविवार को विधायकों से मिलेंगे। वसुंधरा समर्थक विधायक अपना फैसला केंद्रीय पर्यवेक्षकों को बता देंगे। हालांकि वसुंधरा समर्थकों का कहना है कि उनके पास 75 विधायकों का समर्थन है। लेकिन पार्टी के लोगों का कहना है कि वसुंधरा के पास 30 से ज्यादा विधायक नहीं हैं।

वसुंधरा राजे और उनके बेटे झालावाड़ से लोकसभा सांसद दुष्यंत सिंह ने इस सप्ताह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। मां-बेटे ने सीएम पद की दावेदारी पेश की। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल देने के मूड में नहीं है, लेकिन नरेंद्र मोदी, अमित शाह और नड्डा समझते हैं कि वसुंधरा पार्टी के खिलाफ विद्रोह कर सकती हैं और कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार भी बना सकती हैं। नई विधानसभा में कांग्रेस के पास 69 विधायक हैं।

और कहां से मिल सकता है समर्थनः वसुंधरा को भाजपा के बागी के रूप में जीते आठ निर्दलीय विधायकों, राष्ट्रीय लोक दल के एक विधायक, कांग्रेस से गए एक निर्दलीय विधायक और बसपा के एकमात्र विधायक का भी समर्थन मिल सकता है। यानी वसुंधरा के पास बाहर से पर्याप्त समर्थन है। हालांकि भाजपा आलाकमान ने वसुंधरा को स्पीकर का पद देने की कोशिश की लेकिन वो स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
कांग्रेस की नजर सारे घटनाक्रम पर है। विपक्ष और सत्ता पक्ष में रहते हुए अशोक गहलोत और वसुंधरा के संबंध हमेशा भाई-बहन वाले रहे हैं। परस्पर विरोधी विचारधारा की पार्टियों में होने के बावजूद दोनों एक दूसरे का सम्मान करते आए हैं। अगर वसुंधरा भाजपा से अलग हो जाती हैं और सरकार बनाती हैं, तो कांग्रेस अगली गर्मियों में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उनके गुट के साथ गठबंधन कर सकती है।
राजस्थान से और खबरें

क्या वसुंधरा के साथ धोखा हुआ?

वसुंधरा राजे ने 2003 और फिर 2013 में पार्टी को जीत दिलाई। उन्हें 2003, 2008, 2013 और 2018 में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया था। उनका कद भाजपा में बहुत बढ़ गया था। लेकिन पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने 2023 में पाया कि उन्हें सीएम चेहरा बनाने पर पार्टी जीत नहीं पाएगी। इस फैसले से राजस्थान भाजपा में संकट आ गया। यह संकट पार्टी ने खुद से बुलाया है। वसुंधरा समर्थकों का कहना है कि पार्टी के बड़े नेता वसुंधरा और खासकर सिंधिया घराने के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। राजस्थान में भाजपा का मतलब वसुंधरा राजे ही हैं। पार्टी को यह जल्द समझ में आ जाएगा।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजस्थान से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें