लोगों के द्वारा ‘लोगों के लिए’ होने की पहली शर्त है। किसी भी संस्था को अपने स्वरूप में लोकतांत्रिक होने के लिए उसमें हर एक वर्ग, जाति, समुदाय की मौजूदगी ज़रूरी है। हरेक इंसान फिर उस संस्थान में अपने समूह का प्रतिनिधित्व करता है तथा इस तरह उस संस्थान के लक्ष्यों और कार्यों में उस पूरे समूह के हितों का प्रतिनिधित्व होता है। लोकतांत्रिक होने की इस कसौटी पर भारतीय मीडिया खरा नहीं उतरता है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए चौथे स्तंभ के जिस दायित्व को लेकर चलने का दावा भारतीय मीडिया करता है वह ख़ुद अपने स्वरूप में ही अलोकतांत्रिक है।
स्वभाव में अलोकतांत्रिक क्यों है भारतीय मीडिया?
- पाठकों के विचार
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- 29 Oct, 2020

लोकतांत्रिक होने के लिए उसमें हर एक वर्ग, जाति, समुदाय की मौजूदगी ज़रूरी है। लोकतांत्रिक होने की इस कसौटी पर भारतीय मीडिया खरा नहीं उतरता है क्योंकि इसमें वह विविधता नहीं है।