15 वर्षीय लड़की का किसी और के पौधे से एक फूल तोड़ने की स्वभाविक परिणति क्या हो सकती है? हद से हद कि उस लड़की को समझाया जाए कि फूल तोड़ना ग़लत बात है और विशेषकर जब बिना आज्ञा के तोड़ा जाए। परंतु अगर वह लड़की दलित हो और फूल का मालिक सवर्ण हो तब? इस सवाल का जवाब भारतीय इतिहास में तमाम स्मृतियां, हमारी सामाजिक विरासत और हाल फ़िलहाल ओडिशा के ढेनकनाल जिले में कांटियो केटनी गाँव के सवर्ण परिवारों ने दिया है।
फूल तोड़ने से दलितों का सामाजिक बहिष्कार?
- पाठकों के विचार
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- 1 Nov, 2020

ओडिशा में दलित लड़की के फूल तोड़ने की घटना के बाद दो हफ्ते से 40 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है।