आज विश्व पर्यावरण दिवस है और इस बार का विषय 'प्रकृति के लिए समय' है। ऐसे में कोरोना और लॉकडाउन के संकेत हमें समझने होंगे।
कोरोना के संकेत: पृथ्वी बचा सकते हो तो बचा लो, नहीं तो...
- पाठकों के विचार
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- 5 Jun, 2020

आज विश्व पर्यावरण दिवस है और इस बार का विषय 'प्रकृति के लिए समय' है। ऐसे में कोरोना और लॉकडाउन के संकेत हमें समझने होंगे। कोरोना के संकेत: पृथ्वी बचा सकते हो तो बचा लो, नहीं तो...
कोरोना वायरस आज के समय में एक तरह का संकेत है जो प्रकृति की ख़ूबसूरती की ओर हमें ले जाता है।
यह हमें इस बात का संकेत देता है कि अगर इसी तरह से स्वच्छ व सुरक्षित जलवायु हमें चाहिए तो भविष्य में अपने स्तर पर ही हमें और भी बड़े लॉकडाउन के लिए अभ्यास करना होगा पर बिना कोविड-19 जैसे वायरस के। यह इस बात का भी संकेत देता है कि अगर हम पर्यावरण का सम्मान नहीं करते हैं तो कोविड-19 जैसी महामारियों का दंश झेलने के लिए हमें आगे भी तैयार रहना होगा।
जीवाश्म ईंधन उद्योग से होने वाला ग्लोबल कार्बन उत्सर्जन इस साल रिकॉर्ड 5 प्रतिशत की कमी के साथ 2.5 बिलियन टन घट सकता है। कोरोना वायरस महामारी के चरम पर होने के कारण इस जीवाश्म ईंधन की माँग में सबसे बड़ी गिरावट आई है। यही नहीं, महामारी की वजह से यात्रा, कार्य और उद्योगों पर अभूतपूर्व प्रतिबंधों ने हमारे शहरों में भी अच्छी गुणवत्ता की हवा सुनिश्चित की है। इस क्रम में प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का स्तर सभी महाद्वीपों में गिर गया है।