बुलंदशहर में जब भगवा दल के लोग गोरक्षा के नाम पर उपद्रव कर रहे थे, लगभग उसी समय पड़ोस के ग़ाज़ियाबाद-नोएडा में किसानों का एक संगठन गाँवों में आवारा पशुओं के आतंक के ख़िलाफ़ आंदोलन की तैयारी में जुटा था। ये आवारा पशु और कोई नहीं हैं बल्कि बूढ़ी गायों और बैलों का समूह है जो रात में किसानों की फ़सल तबाह कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के महामंत्री युद्धवीर सिंह ने एक बयान में कहा है कि दो साल से उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जो हालात बने हैं, उनके चलते गाँव में आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है और गाय और बैल का कोई ख़रीदार नहीं है। मजबूर किसान उन्हें आवारा छोड़ दे रहे हैं और अब वे झुंड बना कर खड़ी खेती को नष्ट कर रहे हैं।