वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया, लेकिन शिक्षा के लिए उन्होंने क्या दिया? पिछले बजट में की गई घोषणाएँ कब पूरी होंगी और आख़िर ये बदलाव कब आयेंगे?
सुस्त आर्थिक रफ़्तार और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र वित्त मंत्री से साहसिक कदम और कठोर फ़ैसलों की उम्मीद की जाती थी। पर निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, उससे किसी का भला नहीं होगा।
चूँकि बीजेपी जानती है कि उसे वोट बजट से नहीं हिंदू-मुसलमान-पाकिस्तान से मिलता है तो उसे क्या ज़रूरत है कि वह बजट के तनाव में क्यों रहे? मोदी सरकार के दुबारा केंद्रीय सत्ता में आने के बाद पेश किए गए बजट में यही झलकता है। शीतल के सवाल में देखिए वरिष्ठ आर्थिक संपादक आलोक जोशी और वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी के साथ चर्चा।
निर्मला सीतारमण ने अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण दिया, लेकिन आम लोगों के लिए किया क्या? रोज़गार के लिए क्या किया गया? गिरती अर्थव्यवस्था के लिए क्या हुआ? शिक्षा के लिए क्या हुआ? क्या आयकर स्लैब में बदलाव ही सबकी भरपाई हो जाएगी? देखिए शैलेश की रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ चर्चा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम की हिस्सेदारी का बड़ा भाग बेचने का एलान कर सबको चौंका दिया है। उनकी इस घोषणा से कई सवाल खड़े हो गए हैं।
नए बजट में टैक्स दरों में भारी बदलाव किया गया है। 5 लाख से 15 तक की आय पर लगने वाला टैक्स पहले के मुक़ाबले कम कर दिया गया है। इससे लगता है कि करदाताओं को इससे काफ़ी लाभ होगा। लेकिन ऐसा है नहीं।
निर्मला सीतारमण अपने इस दूसरे बजट-2020 को लेकर निशाने पर आ गई हैं। सबसे लंबा भाषण देकर इतिहास तो रचा, लेकिन इसी को लेकर वह निशाने पर आ गई हैं। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने निर्मला सीतारमण पर हमला किया।
शेयर बाज़ार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 2020 के बजट से निराश है। बजट में 988 अंकों की गिरावट आई है। जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट पेश करने से पहले ही नकारात्मक हो गया था।
शुक्रवार को बजट सत्र शुरू हो गया है और कल यानी शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। लेकिन क्या यह बजट आम लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरा पाएगा? हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही बीजेपी सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं, इससे कैसे पार पाएगी? देखिए वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी का विश्लेषण।
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था एकदम फटेहाल है? या यह सिर्फ़ सुस्त हुई है, लेकिन अभी पटरी से नहीं उतरी है? दावों और जवाबी दावों के बीच बजट के एक दिन पहले जानिए क्या है सच। करंट अफ़ेयर्स एडिटर नीलू व्यास ने बात की अर्थशास्त्री चरण सिंह से। देखिए सिर्फ़ सत्य हिन्दी पर।
एक दिन बाद जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश कर रही होंगी तब उनके सामने 2020 की भारत की अर्थव्यवस्था की वह तस्वीर होगी जो पहले से ज़्यादा बदहाली की कगार पर है।
विकास दर से जुड़े तमाम आँकड़े बताते हैं कि स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, पर गौर करने पर यह तसवीर सामने आती है कि स्थिति उतनी बुरी भी नहीं है, जितनी लोग समझ रहे हैं।