उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फ़रवरी में हुए दंगों में दिल्ली सरकार की तरफ़ से पैरवी कौन करे, इस सवाल पर अब दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच खुलकर टकराव हो रहा है।
एक रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में ही 9 मई तक 116 मौतें रिपोर्ट हो चुकी हैं तो भला दिल्ली सरकार कैसे यह दावा कर सकती है कि सिर्फ़ 66 मौतें ही हुई हैं।
दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाक़ों सीलमपुर, जाफ़राबाद, मुस्तफ़ाबाद तक में अवैध धंधों की भी भरमार है और अंडर वर्ल्ड के साथ-साथ अवैध हथियारों का धंधा भी यहां खूब होता है।
8 फ़रवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए मुसलिम वोटर कैसे बदल सकते हैं चुनावी नतीजे? अरविंद केजरीवाल अकेले ही कमान संभाले हुए हैं और बीजेपी की पूरी फौज।
दिल्ली जीतने के लिए ‘आप’, बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताक़त झोंक दी है। लेकिन मुख्य मुक़ाबला ‘आप’ और बीजेपी के बीच माना जा रहा है और कांग्रेस के लिए यह वजूद की लड़ाई है।
दिल्ली में बीजेपी का चेहरा बनने के लिए पार्टी नेताओं के बीच लड़ाई चल रही है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के एक बयान के बाद यह लड़ाई और तेज होने का डर है।
जीवन के लिए कुदरत की दो नियामतें सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं- हवा और पानी। अगर हम कुदरत के साथ खिलवाड़ करते हुए उन्हें ज़हरीला बना दें तो फिर इसका मतलब यह है कि हम जीना ही नहीं चाहते।
महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजों के बाद बीजेपी इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाई कि वह झारखंड के साथ दिल्ली में भी चुनाव करा ले। दिल्ली में उसे अब राम मंदिर पर कोर्ट के फ़ैसले से ही उम्मीद है।
अगर सिर्फ़ वीआईपी से लूटपाट करने वाला ही पकड़ा जाएगा तो ऐसी घटनाओं का शिकार आम आदमी ज़रूर सवाल उठाएगा कि आख़िर उनके साथ हुई लूटपाट के अपराधी खुले क्यों घूम रहे हैं।