दिल्ली के 2028 तक क्योटो को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाला शहर बनने की संभावना है और इस रिकॉर्ड पर भले ही आप गर्व करने लगें, लेकिन यह दिल्ली के लिए ख़तरनाक संकेत है।
पिछले महीने पूरा देश पानी की कमी से जूझ रहा था। देश के अधिकतर हिस्सों में मानसून की बारिश शुरू हो गयी और अब पानी की समस्या पर उस तरह की चर्चा नहीं की जा रही है। क्या मानसून की आड़ में छुपना ही समाधान है?
पीने के पानी निकट भविष्य का सबसे बड़ा संकट बनने जा रहा है। हाल यह है कि दूध और तेल की तरह पानी भी ट्रेन से भेजा जाएगा। एक करोड़ लीटर पानी लेकर एक ट्रेन जोलारपेट से चेन्नई भेजी गई है।
वैसे तो देश भर में जल संकट है, लेकिन देश में क़रीब 10 करोड़ लोगों के सामने भयावह स्थिति आने वाली है। अगले एक साल में देश के 21 प्रमुख शहरों में ज़मीन के नीचे का पानी ख़त्म हो जाएगा। ऐसे में लोगों का क्या होगा?
पीने के पानी लिए हाहाकार मचा है। हर रिपोर्ट गंभीर ख़तरे का संकेत दे रही है। एक रिपोर्ट में तो इशारा साफ़ है कि 2030 तक तो पूरे देश में स्थिति संभले नहीं संभलेगी। इसके लिए कौन है ज़िम्मेदार?
करोड़ों लीटर पानी खपाकर बीयर बनाने वाले इन कारखानों में इस साल उत्पादन क़रीब 14 फ़ीसदी बढ़ा है। लोगों को पीने का पानी कम मिल रहा है तो शराब कारोबार को पानी ज़्यादा कैसे मिलने लगा?
देश के अधिकतर हिस्सों में पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। ज़मीन बंजर होती जा रही है। प्रदूषण के कारण साँस लेना दूभर होता जा रहा है। इस पूरे बदलाव से कई प्रजातियाँ ग़ायब हो गई हैं। तो क्या एक दिन हम अपना अस्तित्व भी खो देंगे?
एक ओर उत्तर प्रदेश के कई इलाक़ों में लोग जल संकट से जूझ रहे हैं वहीं, दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो से एक दिन पहले वाराणसी में सड़कों को धोने के लिए 1.40 लाख लीटर पानी बर्बाद कर दिया गया। देखिए, इस मुद्दे पर आशुतोष का विश्लेषण