शाहिद अली कोई नेता या अभिनेता नहीं हैं। वो कोई मौलवी या क़ौम का झंडाबरदार भी नहीं हैं। इसलिए आप उसे निश्चित तौर पर नहीं जानते होंगे। पर जानना चाहिए क्योंकि वो महान साहित्यकार प्रेमचंद की एक कहानी का नायक है। भारत की आज़ादी से बहुत पहले सन तीस के दशक में लिखी गयी प्रेमचंद की कहानी “मंदिर और मस्जिद” का मामूली नायक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्रों के एक नाटक ने उसकी याद ताज़ा कर दी। कहानी का नाट्य रूपांतर किया है जानी मानी लेखिका चित्रा मुद्गल ने और निर्देशक हैं प्रसिद्ध रंगकर्मी समीप सिंह। समीप सिंह ने रोचक प्रस्तुति से इस नाटक को आज के दौर के लिए प्रासंगिक बना दिया।