सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर जैसी हस्तियों की ट्वीट की जाँच का फ़ैसला लेकर महाराष्ट्र सरकार और इसमें शामिल तमाम पार्टियाँ सवालों के घेरे में आ गयी हैं।
क्या राकेश टिकैत के रो पड़ने ने किसान आंदोलन में नये सिरे से जान फूँक दी है? रात यह लग रहा था कि पुलिस ज़बरन किसानों को ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से हटा देगी लेकिन वैसा नहीं हुआ।
10वें दौर की वार्ता में किसानों के लिए केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव हैरान करने वाला था कि विवादास्पद तीन कृषि क़ानूनों को एक से डेढ़ साल के लिए स्थगित कर दिया जाएगा। सरकार ऐसा करने को तैयार क्यों हुई?
किसान आंदोलन के बीच ही नये कृषि क़ानूनों की कॉपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में फाड़ दी। केजरीवाल ने ऐसा क्यों किया, वह इतने आक्रामक क्यों हैं?
ताज़ा हालात में गृह मंत्रालय दिल्ली सरकार को ‘सहयोग’ कर रहा है और दिल्ली सरकार ‘भीगी बिल्ली’ बनी दिख रही है। ‘संभली हुई स्थिति’ कहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी चुप हैं।
जिस किशनगंज में एक दिन पहले नीतीश कुमार कह रहे थे कि ‘कोई किसी को नहीं भगा सकता’, उसी किशनगंज में अगले दिन चुनाव प्रचार के अंतिम दिन नीतीश कह गये- ‘यह मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला।’
मथुरा के नंदगाँव में नंदबाबा मंदिर परिसर में नमाज़ पढ़ने की तसवीर से हंगामा बरपा है। दो मुसलिम और दो हिन्दू देश में भाईचारगी का संदेश देने के लिए निकले थे। मगर, ऐसी बहस को जन्म दे बैठे जो भाईचारगी को नुक़सान पहुँचाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुखी हैं कि पुलवामा हमले के बाद ‘भद्दी राजनीति’ हुई। उनका दुख तब सामने आया है जब पाकिस्तान की संसद में मंत्री फ़वाद चौधरी ने कहा है कि पुलवामा हमला ‘पाकिस्तान की उपलब्धि’ है।
जिन लोगों ने भी नीतीश-मोदी और जेडीयू-बीजेपी की सियासत को देखा-समझा है, वे नीतीश के वोट मांगने के इस अंदाज को देखकर चकित हैं, मगर यही चौंकाने वाला फैक्टर बिहार की सियासत के बदले हुए मिजाज का सबूत भी है।
बीजेपी के बड़े नेता चाहे वो जेपी नड्डा हों या फिर अमित शाह, भूपेंद्र यादव हों या फिर देवेंद्र फडणवीस- यह नहीं बता पाए हैं कि एलजेपी से एनडीए का नाता खत्म हो चुका है या नहीं।
क्या कोरोना की फ्री वैक्सीन का वादा किसी चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा हो सकता है? क्या होना चाहिए? यह सवाल देश में हर औसत बुद्धि का व्यक्ति भी बीजेपी से पूछ रहा है।
टेस्टिंग में हिन्दुस्तान 105वें नंबर पर है। कोई पड़ोसी देश ऐसा नहीं है जिससे भारत की स्थिति बेहतर हो। फिर भी प्रधानमंत्री कहते हैं कि भारत संभली हुई स्थिति में है। यह कोरोना काल का सबसे बड़ा मजाक है।
क्या चिराग पासवान को तेजस्वी यादव की सहानुभूति की जरूरत थी? क्या इस समर्थन से चिराग पासवान की राजनीति आसान हो जाएगी? या फिर, चिराग की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं?
हाथरस केस में जिस ‘जस्टिस फ़ॉर हाथरस विक्टिम.कॉर्र्ड.को’ के ज़रिए ‘दंगा फैलाने की साज़िश का पर्दाफाश’ हुआ वह 30 सितंबर को बनी थी। वेबसाइट ने महज ढाई घंटे में ऐसी क्या स्थिति पैदा कर दी कि शव को आधी रात को जलाना पड़ा?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से एक दिन पहले दिए गये बयान को भी इन सुर्खियों से जोड़ा जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था, 'जिन्हें विकास अच्छा नहीं लग रहा है, वह जातीय व सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं।'
हाथरस गैंगरेप में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जो कुछ किया, उसके बाद यह सवाल हर कोई एक-दूसरे से पूछ रहा है कि आखिर योगी, उनकी सरकार या बीजेपी को इससे फायदा क्या हुआ?
बॉलीवुड में ड्रग्स के बारे में ममता कुलकर्णी, संजय दत्त और राहुल महाजन बरसों पहले जो ख़ुलासे कर चुके, रिया चक्रवर्ती और दीपिका पादुकोण जैसों की जाँच कर एनसीबी को क्या कोई नयी जानकारी मिलेगी। ज़ाहिर है कि ड्रग्स कारोबार को रोकने में एनसीबी पूरी तरह विफल रही है।
5 अप्रैल 2020 और 9 सितंबर 2020 की दो तारीख़ें ऐतिहासिक रहीं और रहेंगी। दोनों ही अवसरों पर रात 9 बजकर 9 मिनट पर समान तरह का एक्शन देखने को मिला। 9 सितंबर को बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुआ।