दो सितंबर को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अचानक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई तो पटना के पत्रकार यही समझते हुए उनके घर पहुंचे कि एक दिन बाद नीतीश कुमार के साथ जाने के उनके इरादे में कोई तब्दीली तो नहीं हो गयी। मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रवक्ता ने एलान कर रखा था कि उनकी पार्टी तीन सितंबर को एनडीए में शामिल होगी। मांझी ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक दिन पहले ही नीतीश कुमार के साथ जाने की घोषणा कर दी।

समझा यह गया कि मांझी ने एनडीए में शामिल होने का एलान किया है लेकिन उनकी बात ध्यान से सुनने पर मालूम होता है कि उन्होंने अपने मोर्चे का गठबंधन जेडीयू से होने की बात कही है।
आम तौर पर समझा यह गया कि मांझी ने एनडीए में शामिल होने का एलान किया है लेकिन उनकी बात ध्यान से सुनने पर मालूम होता है कि उन्होंने अपने मोर्चे का गठबंधन जेडीयू से होने की बात कही है। मांझी ने उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे जेडीयू के साथ मिल-जुलकर चुनाव लड़ेंगे।
मांझी की बात में यहां से राजनीतिक चतुराई शुरू होती है। वे कहते हैं, ‘चूंकि नीतीश कुमार एनडीए के अंग हैं, इसलिए हम भी एनडीए के पार्टनर हैं लेकिन हम जेडीयू के साथी व नीतीश कुमार के नजदीकी बने रहेंगे।’