राजनीतिक मत भिन्न रखने वाले कलाकारों की फ़िल्मों का बहिष्कार इस बात को स्पष्ट कर दे रहा है कि सिर्फ़ मीडिया ही 'गोदी मीडिया' नहीं बना है सिनेमा भी किसी ऐसे ही नाम का इंतज़ार कर रहा है।
दीपिका पादुकोण की फ़िल्म ‘छपाक’ रिलीज़ हो गई। इसके दो दिन पहले अचानक शाम को यह ख़बर आई कि दीपिका पादुकोण जेएनयू के आंदोलनकारी छात्रों के बीच पहुँच गईं। क्यों पहुँचीं?
एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल पर डायरेक्टर मेघना गुलज़ार फ़िल्म लेकर आई है। जिसका नाम ‘छपाक’ है और यह फ़िल्म शुक्रवार यानी 10 जनवरी को रिलीज हो रही है।
‘गुड न्यूज़’ यानी ख़ुशख़बरी! इस फ़िल्म में भी घर में नए मेहमान के आने की ख़ुशख़बरी का सभी को इंतज़ार है और उसी को लेकर डायरेक्टर ने एक नई कहानी के साथ फ़िल्म बनाई है।
एक शानदार ज़िंदगी पूरी करके शौकत आपा के नाम जानी जाने वाली शौकत कैफ़ी (1928-2019) इंतक़ाल फरमा गयीं। शौकत आपा ने एक शानदार ज़िंदगी जी। वह बेहतरीन अदाकारा थीं।
भारत की पहली समानान्तर फ़िल्म 'भुवन शोम' के 50 साल पूरे हो रहे हैं। आख़िर क्या थी उस फ़िल्म की खूबी कि उसके साथ ही भारतीय फिल्म जगत में एक नए युग की शुरुआत उससे हुई।
फ़िल्म ‘बाला’ में कहानी है बालों की। जी हाँ, वही लंबे, घने, घुंघराले ख़ूबसूरत बाल जो कि सभी के सर का ताज होते हैं। फ़िल्म में गंजेपन की समस्या को लेकर दिखाया गया है।
फ़िल्म ‘मेड इन चाइना’ में सेक्स प्रॉब्लम्स के बारे में खुल कर बात करने के लिए प्रेरित करती है। सेक्स लाइफ़ या इससे जुड़ी परेशानी के बारे में किसी से बात करना क्यों पसंद नहीं करते?