"यदि आप अयोध्या जाएँगे तो आपको फुटपाथों पर इतिहास की ऐसी किताबें बिकती मिल जाएँगी कि आपका दिमाग़ चकरा जाएगा। भ्रष्ट भाषा और ख़राब शैली में लिखी गई ये किताबें लाखों-करोड़ों धर्मप्राण हिन्दुओं को इतिहास की गम्भीर पुस्तकों से अधिक प्रमाणिक लगती हैं।"
लड़ाई मंदिर की नहीं, अयोध्या के उस झूठ से है जहाँ राम की मर्यादा बसती है
- ब्लॉग
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- 7 Feb, 2019

यदि आप अयोध्या जाएँगे तो आपको फुटपाथों पर इतिहास की ऐसी किताबें बिकती मिल जाएँगी कि आपका दिमाग़ चकरा जाएगा। ऐसा इसलिए कि आज़ादी के बाद से अयोध्या का इतिहास झूठ और प्रपंच से रचा गया इतिहास है।
आज़ादी के बाद से अयोध्या का इतिहास झूठ और प्रपंच से रचा गया इतिहास है। हिन्दू गौरव की राजनीति का आधार झूठ हो यह उस राम की मर्यादा के अनुकूल नहीं है जिनके बारे में शीतला सिंह लिखते हैं कि “राम ऐसा व्यापक चरित्र है जो धर्मों और मान्यताओं के घेरे से बाहर 65 देशों में रामकथा और 29 देशों में रामकथा के मंचन के रूप में विद्यमान है।“ राम अगर मर्यादाओं के नायक हैं तो एक दिन अयोध्या को राम की मर्यादाओं से टकराना ही होगा। तमाम तरह की राजनैतिक अनैतिकताओं से राम की मर्यादा को रौंदा गया है। यह खेल स्थानीय स्तर पर कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति से शुरू होता है जिसे 90 के दशक में विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी व्यापक स्तर पर खेलते हैं। 1948 के साल में कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व छोटे स्तर पर आस्था के नाम पर जो भीड़ बना रहा था उसे 1992 में बीजेपी ने बड़ा और शक्तिशाली कर दिया। शीतला सिंह ने अयोध्या विवाद में कांग्रेस और बीजेपी को एक-दूसरे का पूरक बताया है।
शीतला सिंह ने हिन्दी में ‘अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी-मस्जिद सच’ नाम से एक किताब लिखी है जिसे कोशल पब्लिशिंग हाउस ने छापा है। इस किताब की क़ीमत 550 रुपये हैं। किताब के पीछे प्रकाशक ने अपना फोन नंबर भी दिया है। 9415048021, 9984856095.। मैं अयोध्या पर आई किताबों की सूची अपने दर्शकों और पाठकों को देता रहा हूँ। ताकि एक अच्छे पाठक की तरह आपमें हर बात को जानने का साहस विकसित होना चाहिए। अयोध्या विवाद को लेकर लोगों में जिस इतिहास और धारणा को घुसा दिया गया है अब उससे ये किताबें भले न पड़ पाएं मगर कोई तो राम का असली साधक होगा जो उनकी मर्यादाओं पर चलता हुए सत्य का अनुसंधान करेगा। व्यक्तिगत जानकारी और समझ के लिए अयोध्या पर लिखी गईं इन किताबों को ज़रूर पढ़ा जाना चाहिए।
हाल ही में वलय सिंह की किताब AYODHYA, CITY OF FAITH CITY OF DISOCORD (aleph publication) आई है। उसके पहले 2012 में कृष्णा झा और धीरेंद्र झा की किताब AYODHYA THE DARK NIGHT, THE SECRET HISTORY OF RAMA’S APPEARANCE IN BABRI MASJID (harpercolins publication) आई थी। यह किताब अभी अंग्रेज़ी में ही है। जिनके समय बाबरी मसजिद ढहाई गई थी, पी वी नरसिम्हा राव ने भी एक किताब लिखी है AYODHYA 6 DECEMBER 1992 जिसे पेंग्विन ने छापा था। 2016 में इस विवाद में याचिकाकर्ता रहे और केंद्र की तरफ़ से वार्ताकार रहे किशोर कुणाल की किताब AYODHYA REVISITED की भी जानकारी दी है। पत्रकार हेमंत शर्मा की युद्ध में अयोध्या किताब प्रभात प्रकाशन से आई है।
रवीश कुमार एनडीटीवी में वरिष्ठ पत्रकार हैं। वह देश-दुनिया से जुड़े विषयों पर अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं।