कोरोना से गंजे पुरुषों को ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है। ऐसा दावा ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक गंजे पुरुषों का कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
कोरोना संकट के जूझ रही दुनिया के लिए एक दवा से उम्मीद जागी है। कोरोना वायरस वैक्सीन यानी टीका तैयार होने की संभावना बढ़ी है। लोगों में इस टीका को आजमाये जाने की रिपोर्ट आई है।
किसी भी संकट की स्थिति में व्यक्ति-विशेष की विशिष्ट प्रतिक्रियाएँ होती हैं। यदि संक्रामक महामारी की स्थिति हो तो उस समय व्यक्तियों में यह भय उत्पन्न हो जाता है कि कहीं उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों में यह संक्रमण न हो जाए।
कोरोना वायरस से कैसे बचें? लेकिन इससे तभी बचेंगे न जब यह जानते हों कि कोरोना वायरस कहाँ-कहाँ हो सकता है। आपके कपड़ों में? जूतों में? बालों में? अख़बार में? आपके घर के फर्श पर? दरवाज़े की कुंडी में? इनसे संक्रमण का कितना ज़्यादा ख़तरा है?
कोरोना मरीज़ों में किडनी फ़ेल होने के मामले काफ़ी ज़्यादा आ रहे हैं और अमेरिका फ़िलहाल किडनी के डायलिसिस मशीनों की कमी के गंभीर संकट का सामना कर रहा है।
कोरोना बीमारी का अब तक न तो टीका बना है और न ही इलाज के लिए कोई दवा है। उम्मीद की किरण अब प्लाज्मा थेरेपी में दिख रही है। तो ये प्लाज्मा थेरेपी क्या है और कितना कारगर है?
कोरोना वायरस से बचाव के लिए क्या सिर्फ़ मुँह पर मास्क लगा लेना ही काफ़ी है? यदि मास्क को ठीक से नहीं पहना जाए तो क्या वायरस से बचा जा सकता है? बिल्कुल नहीं। तो फिर क्या आप जानते हैं कि कैसे मास्क का सही से इस्तेमाल करना है?
कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ही खौफ कितना ज़्यादा है! क्या हो जब अस्पतालों में भर्ती होने वाले ऐसे 48 फ़ीसदी लोगों में मानसिक दिक्कतें आएँ? क्या सरकार ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है?
कोरोना वायरस से व्याप्त वर्तमान माहौल में सबसे नाजुक स्थिति विभिन्न आयु-समूहों के बच्चों और विद्यार्थियों की है। वायरस से बचाने के लिए बच्चों के स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं और वे बड़ों के साथ घरों में कैद रहने को मजबूर हैं।
कोरोना वायरस जिसने सारे भारत में सामान्य जनजीवन को ठप कर दिया है और लोगों को घरों में क़ैद रहने के लिए बाध्य कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कोरोना वायरस है क्या बला।
चीन के जानलेवा कोरोना वायरस या वुहान वायरस के भारत में फैलने से इसका डर बढ़ता जा रहा है। डर इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि इसका इलाज अब तक ढूँढा नहीं जा सका है। लेकिन घबनाएँ नहीं, ये सावधानियाँ बरतें।
लंबा जीना चाहते हैं तो स्वाद ही नहीं, खाने के मेन्यू का भी ध्यान रखें। लांसेट पत्रिका का कहना है कि संतुलित भोजन नहीं लेने से हर साल क़रीब 1.10 करोड़ लोगों की मौत समय से पहले हो जाती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी शायद ही याद हो कि वह बीते साढ़े चार साल में देश में कितने एम्स खोलने का एलान कर चुके हैं! मोदी राज में घोषित 13 एम्स का ताज़ा स्टेटस हम बताते हैं...