सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसला सुनाया था कि चुनावी बांड एक रिश्वत है। इसलिए इसे रद्द किया जाता है। इन बांडों को जारी करने वाला भारतीय स्टेट बैंक चुनावी चंदा लेने वाली पार्टियों और देने वालों का ब्यौरा 6 मार्च तक चुनाव आयोग को भेजे। आयोग 13 मार्च तक इसका प्रकाशन अपनी वेबसाइट पर करेगा। लेकिन भारतीय स्टेट बैंक ने 3 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी लगाकर चार महीने का समय देने की मांग की। एसबीआई ने कहा कि इसमें बहुत सारे तकनीकी काम करने होंगे, जिसमें समय होगा। अभी अदालत ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन एडीआर ने गुरुवार को इस बारे में अवमानना याचिका दायर कर दी है। लेकिन एसबीआई ने चार महीने का जो समय डेटा देने के लिए मांगा है, वो कितना सही है। इसकी पड़ताल पत्रकारों की संस्था रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने की है। रिपोर्टर्स कलेक्टिव का कहना है कि जून तक समय इसलिए मांगा जा रहा है ताकि तब तक लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाएं और देश की सत्तारूढ़ पार्टी शर्मसार होने से बच जाए। लेकिन रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने किस आधार पर तमाम बातें कहीं हैं। उसे आगे जानिए। अगर कोई चाहे तो अलग से वो पूरी रिपोर्ट अंग्रेजी में पढ़ सकता है।