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मेहुल चौकसी

भगोड़े मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल के डेटाबेस से क्यों हटा, कौन बचा रहा

भारत में मोस्ट वॉन्टेड हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बचाने की उच्चस्तरीय कोशिश का मामला सामने आया है। पीटीआई की एक खबर में कहा गया है कि भारत में पंजाब नेशनल बैंक को 13,000 करोड़ रुपये का चूना लगाकर भागे गुजराती कारोबारी मेहुल चोकसी का नाम रेड नोटिस के इंटरपोल डेटाबेस से हटा दिया गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इस घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए है।
रेड कॉर्नर नोटिस 195-देशों के बीच काम करने वाली एजेंसी इंटरपोल उन देशों की जांच एजेंसियों द्वारा प्राप्त सूचनाओं के आधार पर जारी किया जाता है। इस नोटिस के जरिए कानूनी कार्रवाई के लिए लंबित व्यक्ति का पता लगाने और अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने के लिए अलर्ट जारी किया जाता है।

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पीटीआई का कहना है कि सीबीआई और मेहुल चोकसी की कानूनी टीम से इस संंबंध में टिप्पणियां मांगी गईं, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।  
इंटरपोल ने चोकसी के खिलाफ 2018 में रेड नोटिस जारी किया था, लगभग 10 महीने बाद वह उस साल जनवरी में भारत से भागकर एंटीगुआ और बारबुडा में शरण लेने के लिए आया था, जहां उसने नागरिकता ले ली थी। 
पीटीाई को सूत्रों ने बताया कि चोकसी ने अपने खिलाफ रेड नोटिस जारी करने की सीबीआई की अर्जी को चुनौती दी थी और इस मामले को राजनीतिक साजिश का नतीजा बताया था। उसने भारत में जेल की स्थिति, उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर भी सवाल उठाए थे।
सूत्रों ने कहा कि यह मामला पांच सदस्यीय इंटरपोल समिति की अदालत में गया था, जिसे फाइलों के नियंत्रण के लिए आयोग कहा जाता है। उसी ने आरसीएन (रेड नोटिस) को मंजूरी दे दी थी।
सीबीआई ने घोटाले में चोकसी और उसके भतीजे नीरव मोदी दोनों के खिलाफ अलग-अलग आरोपपत्र दाखिल किया है। एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया था कि चोकसी ने 7,080.86 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की, जिससे यह देश में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला बन गया। नीरव मोदी ने कथित तौर पर 6,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। चोकसी की कंपनियों को 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त लोन भी सीबीआई के तहत जांच का विषय है।

 
चोकसी मई 2021 में एंटीगुआ और बारबुडा में दिखा था, फिर रहस्यमय तरीके से पड़ोसी देश डोमिनिका में जाने के लिए गायब हो गया था, जहां उसे अवैध प्रवेश के लिए हिरासत में लिया गया था। पीटीआई के मुताबिक डोमिनिका में चोकसी के पकड़े जाने की सूचना आने के बाद, भारत ने उसके खिलाफ इंटरपोल के रेड नोटिस के आधार पर उसे वापस लाने के लिए सीबीआई डीआईजी शारदा राउत के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम भेजी थी।
लंदन में उनके वकील माइकल पोलाक, जिन्होंने स्कॉटलैंड यार्ड में शिकायत दर्ज कराई थी, ने कहा कि चोकसी को एंटीगुआ और बारबुडा से गायब कर दिया गया था, जहां एक नागरिक के रूप में उसे अपनी नागरिकता और प्रत्यर्पण के मामलों में अंतिम उपाय के रूप में ब्रिटिश महारानी की प्रिवी काउंसिल से संपर्क करने का अधिकार प्राप्त है। डोमिनिका में ये अधिकार उसे उपलब्ध नहीं हैं।

चोकसी को वापस लाने का भारत का प्रयास असफल रहा क्योंकि उसके वकीलों ने डोमिनिका हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने के लिए अभूतपूर्व फुर्ती दिखाई, जिसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया था। 
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एंटीगुआ से उसके लापता होने की परिस्थितियों की जांच के साथ-साथ उनके तेज कानूनी पैंतरेबाज़ी ने चोकसी को डोमिनिका से वापस लाने के भारत के प्रयासों को विफल कर दिया। 51 दिनों की जेल के बाद, 62 वर्षीय चोकसी को डोमिनिका हाईकोर्ट ने जुलाई 2021 में ज़मानत दी थी कि वह एंटिगुआ वापस जाकर वहां स्थित एक न्यूरोलॉजिस्ट से डॉक्टरी सहायता ले सके। अपने डॉक्टरों से फिटनेस क्लीयरेंस मिलने पर मुकदमे का सामना करने के लिए वापस आ जाएगा। बाद में डोमिनिका में अवैध प्रवेश के चोकसी के खिलाफ सभी कार्यवाही बंद कर दी गई थी।

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क़मर वहीद नक़वी
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