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क्या पाक पायलट को पीट-पीट कर मार डालने की ख़बर झूठी थी? 

बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तानी वायुसेना ने भारतीय सीमा में घुसकर हमला करने का प्रयास किया था। भारतीय वायुसेना ने क़रारा जवाब दिया। पाकिस्तानी विमान वापस भागने पर विवश हुए। वायुसेना ने पाकिस्तान के एक लडाकू विमान एफ़-16 को मार गिराने का दावा किया। बाद में यह ख़बर आई कि एफ़-16 का पाइलट विंग कमांडर शहज़ाद-उद-दीन पाकिस्तान की सीमा में जा गिरा। वहां पाकिस्तान के लोगों ने उसे भारतीय सैनिक समझ कर पीट-पीट कर मार डाला। यह ख़बर भारतीय मीडिया में खूब चली और यह बात स्थापित हो गई कि भारतीय विमानों ने पाकिस्तान के एक एफ़-16 को मार गिराया यानी अगर पाकिस्तान ने भारत का एक विमान गिराया तो भारतीय वायुसेना ने भी उनका एक विमान गिरा दिया। हिसाब बराबर। 
शहजाद-उद-दीन के मारे जाने की ख़बर सबसे पहले फर्स्टपोस्ट ने 1 मार्च को एक छापी थी। इस ख़बर में कहा गया था कि पाकिस्तान का एफ़-16 विमान भारतीय मिग-21 के मिसाइल हमले में ध्वस्त हो गया, वह पाकिस्तानी ज़मीन पर गिरा और पाकिस्तानी वायु सेना के विंग कमांडर शहज़ाद-उद-दीन को स्थानीय उग्र भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। ख़बर में कहा गया था कि पायलट के पिता वसीम-उद-दीन पाकिस्तान वायु सेना में एअर मार्शल रह चुके हैं। शहज़ाद-उद-दीन के बारे मेंं कहा गया था कि वह 19 वें स्क्वैड्रन से जुड़े थे, जिसे 'शेरदिल' कहा जाता है। 
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हालाँकि उस समय भी कुछ लोगों ने यह ज़रूर पूछा था कि शहज़ाद पाकिस्तानी वायु सेना की पोशाक में होंगे, जो भारतीय वायु सेना की पोशाक ले बिल्कुल अलग होती है। तो उसे पहचानने की भूल स्थानीय लोग कैसे कर सकते हैं? यह भी कहा गया कि पायलट के बोलने के लहज़े से भी पता चल ही गया होगा कि वह पाकिस्तान के ही रहने वाले हैं। भारतीय और पाकिस्तानी बोलने के लहजे में काफ़ी फ़र्क है। ऐसे में भला कैसे स्थानीय लोगों ने उन्हें भारतीय माना होगा और मार डाला होगा? लेकिन यह ख़बर अख़बार के सलाहकार संपादक प्रवीण स्वामी ने लिखी थी। स्वामी रक्षा विशेषज्ञ हैं, रक्षा मामलों में उनकी अच्छी समझ मानी जाती है और उनकी ख़बर पर काफ़ी भरोसा किया जाता है। लिहाज़ा, इस ख़बर को सच मान लिया गया। 
भारतीय वायु सेना ने किसी पाकिस्तानी विंग कमांडर के पीट-पीट कर मार डाल दिए जाने की ख़बर पर कुछ नहीं कहा था, न पहले दिन और न ही बाद में। पर यह ज़रूर दावा किया था कि पाकिस्तान का एफ़-16 मार गिराया गया था और वह नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान की सीमा में जा गिरा। वायु सेना ने तर्क दिया कि जिस मिसाइल से भारतीय विमान पर हमला किया गया था, उसे एफ़-16 से ही दागा जा सकता है और इसके साथ ही उस मिसाइल का कथित मलबा भी मीडिया को दिखाया। भारत में लोगों ने यह मान लिया कि एफ़-16 को मार गिराया गया था। 
लेकिन, चीन स्थित एशिया टाइम्स.कॉम ने एक ख़बर छापी और फर्स्टपोस्ट की इस ख़बर पर सवालिया निशान लगाया है। ख़बर लिखने वाले सैकत दत्त और खुलदुन शाहिद का दावा है कि उन्होंने पाकिस्तान वायु सेना के एअर मार्शल वसीम-उद-दीन का पता  लगाया और उनसे बात की। यह सच है कि वसीम-उद-दीन पाक वायु सेना में थे। पर उन्होंने साफ़ कहा कि शहज़ाद-उद-दीन नाम से उनका कोई बेटा नहीं है। उनके दो बेटे हैं-अलीमु-उद-दीन और वकार-उद-दीन। वकार फ़िलहाल ब्रिटेन के वार्विकशायर में पढ़ाई कर रहे हैं। अलीम-उद-दीन ने लंदन विश्वविद्यालय के रॉयल हॉलवे कॉलेज में पढ़ाई की और फ़िलहाल दूरसंचार क्षेत्र में काम करते हैं। वह पाकिस्तान वायु सेना से जुड़े हुए नहीं है। 

मेरे दो बेटे हैं, इनमें से कोई पाकिस्तान वायु सेना से जुड़ा हुआ नहींं है, न ही कोई हवाई जहाज़ उड़ाता है। दरअसल, मुझे तो इस ख़बर पर हँसी आ गई। मेरे दोनों बेटे कई साल से विदेश में रहते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनका नाम इस मामले में घसीटा गया।'


वसीम-उद-दीन, रिटायर्ड एअर कमोडोर, पाकिस्तान वायु सेना

एशिया टाइम्स ने स्थानीय लोगों से भी बात की। स्थानीय लोगों ंने कहा कि एक ही पायलट पैराशूट से ज़मीन पर उतरा था, वह भारतीय था, उसके साथ मार-पीट भी हुई थी। लेकिन पाकिस्तान सेना के लोग उसे बचा कर सुरक्षित ले गए। यह भी याद रखने लायक बात है कि भारतीय वायु सेना ने किसी पाकिस्तानी पायलट के भीड़ के हाथों पीट कर मारे जाने की बात कभी नहीं कही। भारतीय वायु सेना सिर्फ़ एफ़-16 के मार गिराने का दावा करती है। 
हैरानी की बात है कि फ़र्स्टपोस्ट के प्रवीण स्वामी ने अपनी ख़बर में किसी सूत्र का ज़िक्र नहीं किया। उन्होंने ख़बर लंदन में बसे एक व्यक्ति खालिद उमर के हवाले से लिखी थी। यह दावा किया गया था कि खालिद ने मारे गए पायलट के परिवार वालों से बात की है। स्वामी ने न तो किसी स्थानीय व्यक्ति से बात की, न पाकिस्तान एअरफ़ोर्स के किसी सूत्र का हवाला दिया न ही वसीम-उद-दीन से बात की।
उसी दिन दोपहर को पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ गफ़ूर ने दावा किया कि पाकिस्तान ने भारतीय पायलटों को पकड़ लिया है। एक उनकी गिरफ़्त में है और दूसरा अस्पताल में। बाद में गफ़ूर ने गिरफ़्तार अभिनंदन की बात तो मानी पर दूसरे की बात गोल कर गए। प्रवीण स्वामी अपनी रिपोर्ट में एक भारतीय सैनिक सूत्र को कोट करते हैं । वह लिखते हैं, 'यह असंभव है कि पाकिस्तान सेना ने दूसरे विमान और पायलट की बात यूं ही कही थी। इसकी संभावना ज़्यादा है कि पाकिस्तानी सेना बुरी तरह से पीटे गए पाकिस्तानी पायलट को नहीं पहचान पाई और उसे भारतीय मान बैठी। और गफ़लत हुई।' प्रवीण ने सिर्फ ख़ालिद की पोस्ट के आधार पर रिपोर्ट लिखी। भारतीय सैनिक सूत्र के हवाले से पूरी ख़बर को प्रमाणिक कर दी। दोनों ही पाकिस्तान में नहीं थे। और न प्रवीण पाकिस्तान गए।
प्रवीण स्वामी ने वसीम-उद-दीन से भी बात करने की ज़हमत नहीं उठाई। एशिया टाइम्स ने जब वसीम से बात की तो पता चला कि उनका शहज़ाद नाम से कोई बेटा ही नहीं है। सवाल यह उठता है कि कौन सही है? फ़र्स्ट पोस्ट या एशिया टाइम्स? फ़र्स्ट पोस्ट के प्रवीण की ख़बर काफी कमजोर लगती है। उसकी तुलना में एशिया टाइम्स के रिपोर्टरों ने काफी होमवर्क किया। शहजाद के तथाकथित पिता वसीम से बात कर प्रवीण स्वामी की ख़बर की पूरी इमारत ही ढहा दी। तो क्या प्रवीण ने इतनी महत्वपूर्ण ख़बर जल्दबाज़ी में की? या उनके सूत्र ने उनके साथ धोखा किया? अगर किसी ने धोखा किया तो सवाल यह है कि क्यों इतने बडे पत्रकार को झाँसे में लिया गया? इसके पीछे का मक़सद क्या था? कही यह साबित करना तो नहीं था कि पाकिस्तान ने अगर मिग-21 गिराया तो भारत ने पाकिस्तान का एफ-16 गिराया? पर जब भारतीय वायु सेना ने कह दिया कि उसने एफ-16 मार गिराया तो फिर शक की कोई गुंजाइंस ही कहा बचती है? ऐसे में शहज़ाद के मारे जाने का मसला और रहस्यमय हो जाता है? क्या यह शख़्स किसी आदमी के ख़ुराफ़ाती दिमाग की उपज थी और संभव है कि शहज़ाद नाम का कोई शख़्स कभी रहा ही न हो? ऐसे में यह जानना ज्यादा ज़रूरी हो जाता है कि इस ख़बर को छपवाने का मक़सद क्या था? मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है। लिहाज़ा सच सामने आना चाहिए। 
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क़मर वहीद नक़वी
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