कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन इस्तेमाल वाली सूची में शामिल करने में और देरी होगी। एक रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्सीन को विकसित करने वाली कंपनी भारत बायोटेक को इसके लिए तकनीकी सवाल भेजे हैं। इसका मतलब है कि जब तक उनका जवाब नहीं दिया जाता तब तक तो मंजूरी नहीं ही मिलने के आसार हैं। अब इससे कोवैक्सीन लगाए उन करोड़ों लोगों में से उन लोगों को दिक्कत है जो दूसरे देशों के दौरे कर रहे हैं या करने वाले हैं। इनमें वे छात्र भी शामिल हैं जो विदेशों में पढ़ते हैं। डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिलने के कारण अधिकतर देशों में कोवैक्सीन लगाए हुए लोगों को भी बिना वैक्सीन लगाए व्यक्ति की तरह माना जा रहा है और उन्हें क्वारंटीन सहित दूसरी कई पाबंदियों से गुजरना पड़ रहा है। देश में अब तक 9 करोड़ से ज़्यादा कोवैक्सीन की खुराक लगाई जा चुकी है।
डब्ल्यूएचओ से कोवैक्सीन को मंजूरी मिलने में देरी क्यों?
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- 28 Sep, 2021
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी नहीं दिए जाने पर इस टीके को लगवाए लोगों को क्या आएंगी दिक्कतें?
