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कश्मीर: बाहरी लोग भी ख़रीद सकेंगे ज़मीन, उमर विरोध में

5 अगस्त, 2019 का वो दिन जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटा दिया गया, तभी से केंद्र सरकार पर यह आरोप लग रहा था कि वह बाहर से लाकर यहां लोगों को बसाना चाहती है। लंबे समय तक लगे लॉकडाउन के चलते कश्मीर के लोगों में नई दिल्ली के प्रति नाराज़गी बढ़ने की ख़बरें भी कश्मीर से आती रहीं। क्योंकि वहां कई महीनों तक बिजनेस, स्कूल, काम-काज ठप रहा और इससे कश्मीरियों को दुश्वारियां झेलनी पड़ीं। 

बीते कुछ दिनों से जम्मू और कश्मीर में बाहरी लोगों को अधिवास (डोमिसाइल) प्रमाण पत्र जारी किए जाने से लोग चिंतित थे और अब केंद्र सरकार ने नोटिफ़िकेशन जारी कर कह दिया है कि हिंदुस्तान के किसी भी कोने का कोई भी शख़्स जम्मू-कश्मीर में ज़मीन ख़रीद सकेगा। 

इससे पहले यह हक़ सिर्फ़ इस राज्य के लोगों को ही था कि वे पूरे राज्य में कहीं भी ज़मीन ख़रीद लें। लेकिन धारा 370 और 35ए के फ़ैसले के बाद केंद्र सरकार को इस दिशा में क़दम उठाने के लिए रास्ता मिल गया। 

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नोटिफ़िकेशन में केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 जो केंद्र शासित प्रदेश में ज़मीन को बेचने से संबंधित है, से ‘राज्य का स्थायी निवासी’ शब्द को हटा दिया है। 

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस बात को साफ किया है कि यह नोटिफ़िकेशन कृषि वाली ज़मीनों पर लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कृषि वाली ज़मीनों को किसानों के लिए आरक्षित रखा जाएगा और इन पर किसी भी बाहरी व्यक्ति का अधिकार नहीं होगा।

सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा, ‘हम चाहते हैं कि देश के बाक़ी हिस्सों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी उद्योग आएं जिससे राज्य का विकास हो और रोज़गार के मौक़े बनें।’

उमर ने किया पुरजोर विरोध

केंद्र के इस क़दम का जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने पुरजोर विरोध किया है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के भूमि स्वामित्व कानून में किया गया संशोधन अस्वीकार्य है। जम्मू-कश्मीर अब बिक्री के लिए खड़ा है और छोटी ज़मीनों वाले ग़रीब लोगों को इस वज़ह से मुसीबत होगी।’ 

उमर ने कहा कि रोटी और रोज़गार के मसले पर फ़ेल होने के बाद बीजेपी इस तरह के कानून बना रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह के क़दम जम्मू-कश्मीर के तीनों क्षेत्रों के लोगों को लड़ने के लिए एकजुट करेंगे। वामपंथी नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट कर कहा कि यह खुला डाका है। उन्होंने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के संसाधनों और इस ख़ूबसूरत जगह की लूट है। 

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नया अधिवास कानून 

5 अगस्त के क़दम के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों ने आवास और रोज़गार के अपने विशेषाधिकार खो दिये हैं। इसके बाद, सरकार ने यहां एक नया अधिवास कानून लागू किया है। इस कानून के तहत, उन लोगों को अधिवास प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं, जो जम्मू-कश्मीर में जन्म से नहीं रह रहे हैं और इनमें लाखों शरणार्थी शामिल हैं।

ये लोग दशकों पहले पश्चिमी पाकिस्तान से आए थे और जम्मू के सीमावर्ती इलाकों में बस गए थे। नए कानून के तहत, बाहरी लोग जो यहां 15 साल से रह रहे हैं या जिन्होंने सात साल तक पढ़ाई की है, या जो केंद्रीय संस्थानों के अधिकारियों और कर्मचारियों के रूप में दस साल ड्यूटी दे चुके हैं वे भी निवास के अधिकार प्राप्त कर सकेंगे।

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अब तक साढ़े बारह लाख अधिवास प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं। हालांकि, लेफ़्टिनेंट गवर्नर एडमिनिस्ट्रेशन के प्रवक्ता, रोहित कंसल का कहना है कि 99 प्रतिशत ऐसे लोगों को अधिवास प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं जो पहले से ही स्टेट सब्जेक्ट लॉ के हिसाब से राज्य के स्थायी निवासी हैं। दूसरे शब्दों में, केवल एक प्रतिशत प्रमाण पत्र बाहरी लोगों को जारी किए गए हैं। हालांकि, आलोचकों को इस पर भी आपत्ति है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने इन एक प्रतिशत लोगों की सूची जारी करने की मांग की है।

370 की बहाली के लिए संघर्ष

राज्य के प्रमुख नेताओं की रिहाई के बाद इन दिनों जम्मू और कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे और धारा 370 और 35 ए की बहाली के लिए आंदोलन की बुनियाद तैयार की जा रही है। हाल ही में पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेन्स और कुछ अन्य दलों की बैठक के बाद इनके प्रमुख नेताओं ने कहा था कि वे अपनी मांग को लेकर अंतिम दम तक संघर्ष करते रहेंगे। 

इन दलों ने एकजुट होकर 'पीपल्स एलायंस फ़ॉर गुप्कर डिक्लेरेशन' का गठन किया है। इस गठबंधन ने जम्मू-कश्मीर का पुराना झंडा अपनाया है और पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला को इसका अध्यक्ष चुना गया है। गठबंधन में पीडीपी, पीपल्स कॉन्फ्रेन्स, पीपल्स मूवमेंट पार्टी, सीपीआई (एम) व कुछ अन्य दल शामिल हैं। 

अब्दुल्ला ने हाल में कहा था कि 5 अगस्त, 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर की जो स्थिति थी, उसे फिर से बहाल करने के लिए संघर्ष किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि मौजूदा स्थिति किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है और इसे हर हाल में बदलना होगा। 

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क़मर वहीद नक़वी
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