एक छाया-चित्र है। प्रेमचन्द और प्रसाद दोनों खड़े हैं। प्रसाद गम्भीर सस्मित। प्रेमचन्द के होंठों पर अस्फुट हास्य। विभिन्न विचित्र प्रकृति के दो धुरन्धर हिन्दी कलाकारों के उस चित्र पर नज़र ठहरने का एक और कारण भी है। प्रेमचन्द का जूता कैनवस का है, और वह अँगुलियों की ओर से फटा हुआ है। जूते की क़ैद से बाहर निकलकर अँगुलियाँ बड़े मजे से मैदान की हवा खा रही हैं। फोटो खिंचवाते वक्त प्रेमचन्द अपने विन्यास से बेखबर हैं। उन्हें तो इस बात की खुशी है कि वे प्रसाद के साथ खड़े हैं, और फोटो निकलवा रहे हैं।
प्रेमचंद के 140 साल : प्रेमचंद की हँसी क्या कहती है?
- साहित्य
- |
- अपूर्वानंद
- |
- 19 Jul, 2020


अपूर्वानंद
प्रेमचंद से पहली बार मिलनेवाले अक्सर उनके ठहाकों से चौंक पड़ते थे। उन्हें शायद प्रेमचंद के उपन्यासों या कहानियों से इनका मेल समझ न आता हो! कहकहे भी कैसे: गगनभेदी!...प्रेमचंद के 140 साल होने पर पढ़ें सत्य हिन्दी की विशेष श्रृंखला की दूसरी कड़ी।
- Apoorvanand
- Premchand
अपूर्वानंद
अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ाते हैं।