महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन को बड़ी जनजागृति के रूप में देखा गया है। अंग्रेज़ी हुकूमत से लड़ने का एक अहिंसक तरीका जिसने जनता के विद्रोही ऊर्जा को स्फुरित किया। असहयोग, सविनय अवज्ञा और चरखे के मेल से गांधी ने आन्दोलन की ऐसी पद्धति का आविष्कार किया जिसमें साधारण जन भी भाग ले सकते थे। एक तरह से यह कम से कम ऊर्जा खर्च करके या अधिक सरल शब्दों का इस्तेमाल करें तो बहुत सस्ते में राष्ट्रवादी होने का एक सुगम पथ था।
प्रेमचंद 140 : 28वीं कड़ी : प्रेमचंद के जाने कितने पात्र महाजन के शिकार हुए
- साहित्य
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- 11 Sep, 2020

राज्य टैक्स माफ़ करे तो उसका राजपाट कैसे चले, ज़मींदार लगान छोड़ दे तो उसका कारोबार कैसे चले और कांग्रेस अगर यह दंड माफ़ कर दे तो अहिंसक आन्दोलन का रुआब क्योंकर कायम रहे? इसलिए प्रधानजी 'ज्यादा गहराई' से बोलते हैं। यह गहनता साधारण बुद्धि के बस की बात नहीं।