'सुनते तो हैं कि पाठक समुदाय में प्रेमचंद की कृतियाँअभी भी बड़ी लोकप्रिय हैं, पर जहाँँतक प्रबुद्ध पाठक का सवाल है, क्या प्रेमचंद की कृतियाँँउसे छूती भी नहीं हैं? क्या उनका स्पंदन ठंडा पड़ गया है, वे कहीं उद्वेलित नहीं करतीं न उत्प्रेरित करती हैं?...कुछ दोस्तों का कहना है कि प्रेमचंद का शिल्प और शैली बहुत पुराने हैं। कहानी आज बहुत विकसित हो चुकी है।'
प्रेमचंद 140 : 16वीं कड़ी : क्या प्रेमचंद साहित्य में कोरा आदर्शवाद है?
- साहित्य
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- 18 Aug, 2020

प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से यह चुनौती दी हम सबको: यह तुम हो सकते हो, क्या ऐसा होने की इच्छा और बल जुटाओगे? ऐसा नहीं कि मनुष्य और मानवीय जीवन और समाज की क्षुद्रताओं से उनकी कलम अपरिचित है या उनसे आँख चुराती है, लेकिन वह हमेशा ही उनका अतिक्रमण करने का एक मौक़ा मुहैया कराती है। वह मनुष्यता को कभी निरुपाय नहीं छोड़ती।