'सुनते तो हैं कि पाठक समुदाय में प्रेमचंद की कृतियाँअभी भी बड़ी लोकप्रिय हैं, पर जहाँँतक प्रबुद्ध पाठक का सवाल है, क्या प्रेमचंद की कृतियाँँउसे छूती भी नहीं हैं? क्या उनका स्पंदन ठंडा पड़ गया है, वे कहीं उद्वेलित नहीं करतीं न उत्प्रेरित करती हैं?...कुछ दोस्तों का कहना है कि प्रेमचंद का शिल्प और शैली बहुत पुराने हैं। कहानी आज बहुत विकसित हो चुकी है।'