कल मैंने अपनी एक टिप्पणी में गृह मंत्री राजनाथ सिंह के एक भाषण का ज़िक्र किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मीडिया को सरकार के प्रति शत्रुता का भाव नहीं रखना चाहिए। राजनाथ सिंह किस तरफ़ इशारा कर रहे थे, यह साफ़ है। आज मीडिया का एक हिस्सा ऐसा है जिसके बारे में माना जाता है कि वह सरकार के पक्ष में कुछ नहीं लिखता या दिखाता और हमेशा सरकार की आलोचना करता रहता है। गृह मंत्री की बात सच है। अपने अनुभवों से मैं कह सकता हूँ कि ऐसे बहुत से पत्रकार हैं जो इस ख़बर से ख़ुश हो जाते हैं कि देश में बेरोज़गारी बढ़ रही है, कि देश में इतने लाख लोगों ने पिछले चार सालों में अपनी नौकरियाँ खोई हैं, कि पिछले चार सालों में इतने किसानों ने ख़ुदकुशी की, कि पेट्रोल के दाम रेकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गए।
जो पत्रकार हैं, वे निष्पक्ष नहीं और जो निष्पक्ष हैं, वे पत्रकार नहीं
- मीडिया
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- 21 Feb, 2019

गृह मंत्री राजनाथ सिंह के एक भाषण का ज़िक्र किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मीडिया को सरकार के प्रति शत्रुता का भाव नहीं रखना चाहिए। राजनाथ सिंह किस तरफ़ इशारा कर रहे थे, यह साफ़ है।
मुझे नहीं पता, इनमें से कितने पत्रकारों ने उन बेरोजगार लोगों या आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों की धेला भर भी मदद की होगी या जिनको पेट्रोल की बढ़ी हुई क़ीमतों से विदेशी मुद्रा के अतिरिक्त ख़र्च होने की चिंता सताती होगी। वे इन ख़बरों से इसलिए ख़ुश होते हैं कि इनसे उनका मक़सद पूरा होता है और वह मक़सद यह है कि मोदी सरकार को सत्ता से हटाया जाए।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश