जब रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद दलित क्रोध भड़का था तब क्रिया-प्रतिक्रिया में या सामान्य ढंग से भी दलितों पर अत्याचार के कई मामले सामने आए और सबने मिलकर एक हवा बनाई। यह हवा ऐसी थी कि शासन कर रही भाजपा और उसके पीछे खड़ा संघ परिवार चिंतित हुआ और उन सबने मिलकर इस ग़ुस्से को संभालने के अनेक प्रयत्न किए। इन सबकी चर्चा यहाँ करना उद्देश्य नहीं है पर इसमें रोहित को गैर दलित साबित करने का प्रयास भी शामिल था। अंतिम नतीजे की बात तक यह प्रयास जारी था। लेकिन इस लेखक समेत काफी सारे राजनैतिक पंडित यह मान बैठे कि यह प्रसंग चाहे जहां पहुंचे भाजपा को अब दलित वोट पाने में दिक्कत होगी और उसमें गिरावट तो होगी ही।