चुनाव के मौसम में देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के दौरों पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आपत्ति से महामहिम उपराष्ट्रपति जी तिलमिला गए हैं। वे गहलोत की आपत्ति को संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की मर्यादा के खिलाफ मानते हैं। सचमुच ये विमर्श का विषय है कि चुनावी मौसम में क्या देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति अपने घरों पर नहीं बैठ सकते? ये सवाल भी बहस में आना चाहिए कि क्या ये दोनों महानुभाव परोक्ष रूप से सत्तारूढ़ दल के लिए तो काम नहीं कर रहे? ये बात किसी से छिपी नहीं है कि राष्ट्रपति हों या उपराष्ट्रपति पिछले कुछ महीनों से उन पांच राज्यों की लगातार यात्राएँ कर रहे हैं जहां अगले महीनों में विधानसभाओं के चुनाव होना है।