चुनाव के मौसम में देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के दौरों पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आपत्ति से महामहिम उपराष्ट्रपति जी तिलमिला गए हैं। वे गहलोत की आपत्ति को संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की मर्यादा के खिलाफ मानते हैं। सचमुच ये विमर्श का विषय है कि चुनावी मौसम में क्या देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति अपने घरों पर नहीं बैठ सकते? ये सवाल भी बहस में आना चाहिए कि क्या ये दोनों महानुभाव परोक्ष रूप से सत्तारूढ़ दल के लिए तो काम नहीं कर रहे? ये बात किसी से छिपी नहीं है कि राष्ट्रपति हों या उपराष्ट्रपति पिछले कुछ महीनों से उन पांच राज्यों की लगातार यात्राएँ कर रहे हैं जहां अगले महीनों में विधानसभाओं के चुनाव होना है।

चुनाव वाले राज्यों में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के दौरे क्यों आयोजित किए जा रहे हैं? जानिए, आख़िर अशोक गहलोत ने क्यों आपत्ति जताई और उस पर उपराष्ट्रपति की कैसी प्रतिक्रिया रही।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू मध्यप्रदेश जा रही हैं तो उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राजस्थान। इन पांच राज्यों में महामहिमों के दौरों की वजह से राज्य सरकारों को अलग से इंतजाम करना पड़ता है। इसका असर राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार अभियान पर पड़ता है। राजस्थान के नीमराणा में एक चुनाव अभियान के दौरान सीएम अशोक गहलोत ने उपराष्ट्रपति की पांच जिलों की यात्रा पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था, "ऐसी यात्राओं से सभी प्रकार के संदेश जाएंगे, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।”