महेंद्र सिंह धोनी। यह नाम था एक खिलाड़ी का जिसके बारे में मैंने कभी सुना नहीं था। इसलिये हैरान रह गया जब पता चला कि भारतीय टीम में लेने के लिये उस पर चर्चा हो रही है। मैंने अपने स्पोर्ट्स संवाददाता विमल से पूछा, ‘ये कौन है?’ विमल बोला, ‘राँची से है और बड़ा तगड़ा लप्पा मारता है।’ ‘क्या इसका सेलेक्शन होगा?’ विमल ने बताया, ‘सेलेक्टर बहुत हाइली रेट करते हैं।’ टीम में उसका मुक़ाबला था दिनेश कार्तिक से। विकेटकीपर बैट्समैन। धोनी टीम में आ गया। लंबे बेढब बाल। लापरवाह क़द-काठी। पहले कुछ मैचों में तो कुछ ख़ास नहीं दिखा। लगा धोनी भी दो-चार मैच खेल कर बाहर हो जायेगा। वैसे भी यूपी-बिहार-झारखंड वालों को क्रिकेट टीम में कौन पूछता है! कोई बड़ा खिलाड़ी तो निकला नहीं था। फिर मन में यह भी सवाल था कि दिल्ली-मुंबई की लॉबी काफ़ी मज़बूत है। कहाँ ज़्यादा चांस मिलेगा। पर एक मैच में ताबड़तोड़ 142 रन बना कर धोनी ने भारतीय क्रिकेट की दिशा ही बदल दी। धोनी जिसका कोई ‘गॉडफ़ादर’ नहीं था और जिसने कभी क्रिकेट छोड़कर रेलवे की नौकरी कर ली थी, वह भारतीय क्रिकेट का नया ‘गॉडफ़ादर’ बन गया।