पर्व-त्यौहारों की अपनी अहमियत है। साथ ही यहाँ देवी-देवताओं की महिमा भी इनसे जुड़ी है। वर्ष भर में कितने ही त्यौहार आते हैं लेकिन प्रमुख रूप से तो होली और दिवाली को ही माना और मनाया जाता है, यह मैं इसलिये कह रही हूँ कि इन त्यौहारों का रूप चाहे अलग-अलग तरीक़े का लगे लेकिन मामला उत्सवधर्मी ही रहता है। ये त्यौहार अपने मित्रों, संबंधियों और पड़ोसियों के प्रति सद्भावना दर्शाने के अवसर हैं, नहीं तो व्यक्ति अपने खाने-कमाने में ही उलझा रहता है। शुभकामना देने-लेने का भी मौक़ा नहीं मिल पाता।