हैदराबाद में एक चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या और रांची में क़ानून की छात्रा से सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद एक ओर जहां पूरे देश में आक्रोश है, वहीं संसद में ऐसे अपराध के लिये क़ानून को और अधिक कठोर बनाने की माँग उठी है। इस तरह के हैवानियत वाले अपराध के ख़िलाफ़ जनता का आक्रोश पूरी तरह जायज है लेकिन सवाल यह है कि क्या क़ानून में कठोरतम सजा का प्रावधान करना ही पर्याप्त होगा? शायद नहीं।
क्या कठोर क़ानून बनाने से रुक जाएँगी रेप जैसी जघन्य वारदात?
- विचार
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- 4 Dec, 2019

सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के अपराध में रंगा-बिल्ला से लेकर कई दोषियों को सजा हो चुकी है लेकिन बावजूद इसके ऐसी घटनाएँ लगातार हो रही हैं।
बलात्कार और सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के अपराध में रंगा-बिल्ला से लेकर कई दोषियों की मौत की सजा पर अमल हो चुका है और कई मामलों में उनकी सजा घटाकर उम्र कैद में तब्दील की जा चुकी है। लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के साथ होने वाले इस क्रूरतम अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं।