पहली कड़ी- हिन्दू मुसलिम विवाद: कितना धार्मिक- कितना राजनीतिक

देश में नफ़रतें फैलाई जा रही हैं और धर्म के नाम पर तनाव फैला कर राजनीतिक लाभ उठाया जा रहा है। ऐसे में, हम सब का कर्तव्य है कि हिन्दू मुसलिम तनाव पैदा करने की कोशिश को नाकाम करें और वह सच सामने पेश करें जिससे दोनों वर्गों के बीच की दूरियाँ कम हों। पेश है इस पर दूसरी कड़ी।
मेरा मानना है कि हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक विवाद कभी था ही नहीं, सांप्रदायिक शक्तियों, अंग्रेज़ों और राजनीतिज्ञों ने अपने फ़ायदे के लिए हिन्दुओं को मुसलमानों से दूर किया। आम तौर पर ईसाइयों और यहूदियों को मुसलमानों का क़रीबी धर्म माना जाता है क्योंकि ये तीनों धर्म हज़रत इब्राहीम के वंशजों से जुड़े हैं और अरब की धरती से फैले हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि हिंदुओं और मुसलमानों में विश्वासों और मान्यताओं में भी बहुत एकरूपता है।
पहली एक रूपता तो यह है कि सनातन धर्म (हिन्दू मत) ने हज़ारों वर्ष पहले दुनिया को एकेश्वरवाद से परिचित करवाया था और मुसलमान भी एकेश्वरवादी हैं। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि संसार को सबसे पहले हिन्दुओं के धर्म ग्रंथों ने ही यह बात बताई कि इस संसार की रचना करने वाला ईश्वर है, जो निराकार और नि:स्वरूप है, जो अनंत है और शून्य है, जो हर जगह है और कहीं नहीं है, वह सदा से है और सदा रहेगा। निःसंदेह ईश्वर (अल्लाह) के बारे में यही विश्वास मुसलमान भी रखते हैं।