दो-ढाई हफ़्ते से मेरा लिखना-पढ़ना बंद-सा था। अपने यू-ट्यूब कार्यक्रमों से भी दूर था। बाहरी बंदिश न होने के बावजूद कुछ लिख-पढ़ या सार्वजनिक तौर पर बोल न पाने की अशक्तता या मजबूरी कितनी भयानक होती है, लगातार इसे शिद्दत के साथ महसूस किया। पर अब धीरे-धीरे अपने काम-काजी जीवन में वापसी हो रही है।