...औरतों के ख़िलाफ़ जुल्म का मसला कितना बड़ा है, मैं यह महसूस करके भौचक्की रह जाती हूँ। हर उस औरत के मुक़ाबले, जो जुल्म के ख़िलाफ़ लड़ती है और बच निकलती है...कितनी औरतें रेत में दफ़न हो जाती हैं...बिना किसी कद्र और क़ीमत के, यहाँ तक कि क़ब्र के बिना भी। तकलीफ की इस दुनिया में मेरा दु:ख कितना छोटा है...।