उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के सामने अखिलेश यादव पार्टी किस तरह का प्रदर्शन कर पाएगी? क्या वह पिछड़ी और हाशिये की जातियों को साध पाएँगे?
योगी आदित्यनाथ के कंधे पर हाथ रखे प्रधानमंत्री मोदी की तसवीर क्यों जारी की गई? क्या यह संदेश देने के लिए दोनों के बीच कोई दूरियाँ नहीं हैं? क्या यह एक्सप्रेस वे उद्घाटन के मौक़े पर मोदी की गाड़ी के पीछे चलते हुए दिखे योगी की तसवीर की प्रतिक्रिया में है?
संवेदनशील हिमालय क्षेत्र में रविवार को हुए हादसे ने फिर बहस छेड़ दी है विभिन्न विकास परियोजनाओं को लेकर। यह हादसा क्यों हुआ, कैसे हुआ और कैसे रुकेगा? जनादेश चर्चा इसी पर।
उप सभापति हरिवंश ने सितंबर के आख़िरी पखवाड़े में ही तो राज्यसभा में हंगामे के बीच कृषि बिल को भारी विरोध और हंगामे के बीच पास करा दिया था। उसी नये कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
जेपी के नाम पर लखनऊ में बने अंतरराष्ट्रीय सेंटर को बेचने की तैयारी हो रही है। इस सेंटर को अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी सरकार ने बनवाया था और मुलायम सिंह यादव ने इसका उद्घाटन किया था।
कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में समूची सरकार फँसी हुई थी, ऐसे में हरिवंश उसके संकटमोचक बन कर उभरे हैं। उन्होंने सदन की तरफ़ बिना आँख उठाए एक झटके में उस सरकार को उबार दिया जिसकी साँस अटकी हुई थी। यह कोई मामूली बात तो नहीं है।
अजीत जोगी अचानक ऐसे चले जाएँगे यह उम्मीद तो नहीं थी। पिछड़े हुए इलाक़े जोगी डोंगरी से निकल कर इंजीनियर बनना ही आसान नहीं होता। वे इंजीनियर बने, फिर आईपीएस की परीक्षा पास की। यही नहीं रुके और आईएएस भी क्वालीफाई कर लिया।