आज़ादी के 75 साल में विभाजन को लेकर तरह-तरह के सवाल उठते रहे हैं। एक तो सवाल विभाजन की विभीषिका को लेकर ही उठ रहे हैं। ऐसे में क्या इसकी कल्पना की जा सकती है कि यदि देश बँटा नहीं होता तो क्या होता?
आंबेडकर समता पर आधारित एक आर्थिक शक्ति संपन्न लोकतांत्रिक भारत बनाना चाहते थे। लेकिन क्या हम आंबेडकर के सपनों का भारत बना पाए हैं? अगर बना पाए हैं तो कितना?
डॉ. बीआर आंबेडकर कहा करते थे कि सवाल करना मानव जाति की सबसे बड़ी संपत्ति है और जो समाज सवाल करना बंद कर देता है वह बर्बरता में वापस जाने के लिए बाध्य हो जाता है। जानिए कि घर-घर तिरंगा पर वंदिता मिश्रा के क्या सवाल हैं।
हाल ही में एक सर्वे में पीएम मोदी को सबसे लोकप्रिय नेता बताते हुए कहा कि 2024 के चुनाव में लोग उन्हें फिर से चुनना चाहेंगे, लेकिन हकीकत में देश का कहां खड़ा है, इसे जानिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेताओं के काले कपड़े पहनकर महंगाई के ख़िलाफ़ किए गए प्रदर्शन को काला जादू बताकर आलोचना क्यों की? क्या महंगाई के मुद्दे ने मोदी सरकार को झकझोर दिया है?
क्या यूपी की राजधानी लखनऊ से लेकर नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, इंदिरापुरम, मेरठ में हज़ारों आवासीय समितियों पर सत्ता से नज़दीकी रखने वाले छुटभैये क़िस्म के लोग काबिज़ नहीं हैं?
मोदी सरकार हाल ही महंगाई, ईडी की मनमानी के मुद्दे पर कांग्रेस के आंदोलन से डर गई। मात्र इस आंदोलन से डरने वाली सरकार कितनी मजबूत निकली, वो सामने आ गया। इसी से पता चलता है कि भारत में कोई भी राजनीतिक दल सत्ता में आने पर मनमानी तो कर सकता है लेकिन वो इस मजबूत लोकतंत्र को विलुप्त नहीं कर सकता।
सुब्रमण्यम स्वामी की राजनीति को समझना आसान नहीं है। अगर कोई बात या कदम उनके मन का नहीं हुआ तो वो उस मामले में पीछे पड़ जाते हैं। कभी वो जिसके बहुत खिलाफ होते हैं, कई बार उसके पक्ष में भी आ जाते हैं। उनके बयान कब किस तरफ चले जाएं, कोई नहीं जानता। संजय कुमार सिंह ने इसी पर नजर डाली है।
महंगाई, बेरोज़गारी जैसे बड़े मुद्दों पर कांग्रेस ने देशभर में जोरदार प्रदर्शन किया। लेकिन बीजेपी ने इस प्रदर्शन को राम मंदिर शिलान्यास और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की तारीख से क्यों जोड़ दिया?